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अमेरिकी सामानों पर लगने वाले जवाबी शुल्क की डेडलाइन भारत ने फिर बढ़ाई

जून 2018 के बाद से यह डेडलाइन करीब 6 बार से अधिक बढ़ाई जा चुकी है ।

By Abhishek ParasharEdited By: Published: Sat, 30 Mar 2019 01:04 PM (IST)Updated: Sat, 30 Mar 2019 07:49 PM (IST)
अमेरिकी सामानों पर लगने वाले जवाबी शुल्क की डेडलाइन भारत ने फिर बढ़ाई
अमेरिकी सामानों पर लगने वाले जवाबी शुल्क की डेडलाइन भारत ने फिर बढ़ाई

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारत सरकार ने 29 अमेरिकी वस्तुओं पर लगाए जाने वाले जवाबी सीमा शुल्क की अवधि को एक बार फिर से बढ़ाकर 2 मई कर दिया है।

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वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि अमेरिकी सामानों के आयात पर लगाए जाने वाले सीमा शुल्क की डेडलाइन को एक अप्रैल से बढ़ाकर दो मई किया जा रहा है। जिन अमेरिकी सामानों के आयात पर सीमा शुल्क में बढ़ोतरी की गई है, उनमें बादाम, दाल और अखरोट समेत अन्य सामान शामिल हैं।

जून 2018 के बाद इस डेडलाइन में करीब 6 बार से अधिक का बदलाव किया जा चुका है। अमेरिका की तरफ से भारतीय स्टील और अल्युमिनियम प्रोडक्ट पर सीमा शुल्क में इजाफा किए जाने के जवाब में भारत ने भी अमेरिकी सामानों के आयात पर जवाबी सीमा शुल्क लगाए जाने की घोषणा की थी।

द्विपक्षीय वार्ता में बढ़ोतरी किए जाने को लेकर भारत और अमेरिका के बीच बातचीत चल रही है। लेकिन, इस महीने की शुरुआत में अमेरिका ने भारत को एक और झटका देते हुए जीएसपी (जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रीफरेंसेज) की व्यवस्था के तहत भारत को मिल रही सुविधा को खत्म करने का फैसला किया है।

अमेरिका के इस फैसले से भारत के निर्यातकों को झटका लगा है। जीएसपी सुविधा खत्म होने का असर करीब 5.6 अरब डॉलर के भारतीय निर्यात पर होगा। इस व्यवस्था के तहत करीब 1,900 सामान आते हैं, जिनके अमेरिकी बाजार में निर्यात पर छूट मिली हुई है। भारत अमेरिका पर स्टील और अल्युमिनियम प्रोडक्ट्स पर लगाए गए अधिक दरों को वापस लेने का दबाव बना रहा है।

वहीं अमेरिका अपने कृषि और डेयरी उत्पादों, मेडिकल डिवाइस, आईटी और कम्युनिकेशंस के उपकरणों के लिए भारतीय बाजार में अधिक एक्सेस की मांग कर रहा है। भारत ने आईटी प्रॉडक्ट्स पर ड्यूटी में कमी किए जाने को लेकर मजबूरी जताई है।

2017-18 में अमेरिका को भारत की तरफ से 47.9 अरब डॉलर का निर्यात किया गया, जबकि आयात 26.7 अरब डॉलर का रहा। भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में है।

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