Move to Jagran APP

बढ़ते खर्च के बीच विकास दर को आगे ले जाने की चुनौती, कैसे हल होगी मुश्किल, राजस्व की संभावनाएं टटोलने में जुटी सरकार

challenges for indian economy असाधारण समय की चुनौतियों से पार पाने के लिए सरकार के खर्च लगातार बढ़ रहे हैं। बढ़ते खर्च से अर्थव्यवस्था का संतुलन न बिगड़ जाए इसलिए सरकार राजस्व की हर संभावना टटोलने में भी जुट गई है ....

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 02 Jul 2022 08:16 PM (IST)Updated: Sun, 03 Jul 2022 07:01 AM (IST)
बढ़ते खर्च के बीच विकास दर को आगे ले जाने की चुनौती, कैसे हल होगी मुश्किल, राजस्व की संभावनाएं टटोलने में जुटी सरकार
problems of indian economy: सरकार के खर्च लगातार बढ़ रहे हैं।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। असाधारण चुनौतियों के कारण खर्च बढ़ गया है। इससे अर्थव्यवस्था का संतुलन न बिगड़ जाए, इसके लिए सरकार राजस्व की हर संभावना टटोलने में भी जुट गई है। यही वजह है कि गत शुक्रवार को वित्त मंत्रालय ने घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन पर 23,250 रुपये प्रति टन का सेस लगाया है। साथ ही पेट्रोल-डीजल के निर्यात पर प्रति लीटर क्रमश: छह और 13 रुपये का शुल्क लगाया गया है।

loksabha election banner
  • पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती से बढ़ा आर्थिक दबाव
  • खाद सब्सिडी में वृद्धि और मुफ्त राशन योजना विस्तार से आर्थिक बोझ बढ़ा

ईंधन के निर्यात से बढ़ेगा राजस्‍व

घरेलू स्तर पर कच्चे तेल का उत्पादन 290 लाख टन का होता है, इसलिए सरकार को इससे 67,000 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व प्राप्त होगा। चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में 57 लाख टन डीजल और 25 लाख टन पेट्रोल का निर्यात किया गया। इसमें बढ़ोतरी से भी सरकार को अतिरिक्त राजस्व मिलेगा। सोने पर आयात शुल्क बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया गया है। इससे भी राजस्व में वृद्धि होगी।

बढ़ सकता है तीन लाख करोड़ रुपये का बोझ

मई में पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती, खाद सब्सिडी में वृद्धि और मुफ्त अनाज योजना सिंतबर तक बढ़ाने से सरकार पर तीन लाख करोड़ रुपये का बोझ बढ़ सकता है। इसका अनुमान बजट में नहीं लगाया गया था। हालांकि, मासिक जीएसटी संग्रह बजट अनुमान 1.3 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर पिछले तीन महीने में 1.51 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। लेकिन इससे अतिरिक्त आर्थिक बोझ में ज्यादा मदद नहीं मिलेगी।

विकास दर को आगे ले जाने की चुनौती

जानकारों का कहना है कि सरकार के समक्ष विकास दर को आगे ले जाने की चुनौती है, जो खर्च में कटौती करके संभव नहीं है। इसलिए सरकार राजस्व बढ़ाने के किसी भी अवसर को नहीं छोड़ना चाहती है। वित्त मंत्रालय के रुख से यह भी साफ है कि किसी भी सेवा या बिक्री से कमाई पर टैक्स देना पड़ेगा। इसीलिए लाटरी, कैसिनो, आनलाइन गेम, रेस कोर्स पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने की तैयारी है। क्रिप्टो पर भी 28 प्रतिशत जीएसटी लगाया गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.