Move to Jagran APP

टैक्स ट्रिब्यूनल ने कायम रखा टाटा ट्रस्ट्स के कर-छूट का दर्जा, साइरस मिस्त्री की खिंचाई की

आइटीएटी के प्रेसिडेंट जस्टिस पीपी भट्ट और वाइस प्रेसिडेंट प्रमोद कुमार की मुंबई पीठ ने 28 दिसंबर को तीन अलग-अलग आदेश पारित कर रतन टाटा ट्रस्ट जेआरडी टाटा ट्रस्ट और दोराबजी टाटा ट्रस्ट के कर-मुक्त होने के दर्जे को कायम रखा।

By Ankit KumarEdited By: Published: Tue, 29 Dec 2020 07:58 PM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 07:32 AM (IST)
टैक्स ट्रिब्यूनल ने कायम रखा टाटा ट्रस्ट्स के कर-छूट का दर्जा, साइरस मिस्त्री की खिंचाई की
तीनों ट्रस्ट के पक्ष में फैसला सुनाने के साथ ही आइटीएटी ने साइरस मिस्त्री की भी खिंचाई की।

नई दिल्ली, पीटीआइ। आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आइटीएटी) ने टाटा समूह के तीनों न्यासों (ट्रस्ट) का कर-छूट का दर्जा कायम रखा है। न्यायाधिकरण ने आयकर विभाग के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें इस आधार पर दर्जा समाप्त करने की बात कही गई थी कि इन न्यासों के पास टाटा संस के शेयर हैं। आइटीएटी ने टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री द्वारा पद से हटाए जाने के तुरंत बाद आयकर विभाग को दस्तावेज उपलब्ध कराने को लेकर उनकी आलोचना भी की है।

loksabha election banner

आइटीएटी के प्रेसिडेंट जस्टिस पीपी भट्ट और वाइस प्रेसिडेंट प्रमोद कुमार की मुंबई पीठ ने 28 दिसंबर को तीन अलग-अलग आदेश पारित कर रतन टाटा ट्रस्ट, जेआरडी टाटा ट्रस्ट और दोराबजी टाटा ट्रस्ट के कर-मुक्त होने के दर्जे को कायम रखा। आइटीएटी ने कहा, 'आयकर विभाग ने मार्च, 2019 में संशोधित आदेश जारी कर इन तीनों न्यासों के करमुक्त होने का दर्जा समाप्त करने की जो बात उठाई थी, उसके पीछे कोई कानूनी आधार नहीं है।'

तीनों ट्रस्ट के पास टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस की करीब 66 फीसद हिस्सेदारी है। आयकर आयुक्त (छूट) (सीआइटी-ई) का आरोप था कि इस तरह की शेयरधारिता आयकर कानूनों के खिलाफ है। टाटा ट्रस्ट ने सीआइटी-ई के दावे को खारिज करते हुए इसके खिलाफ न्यायाधिकरण में अपील की थी।

आइटीएटी ने कहा कि टाटा संस की तरफ से ट्रस्ट के न्यासियों को जो भुगतान किया जाता है, वह कंपनी में उनकी भूमिकाओं के आधार पर होता है। न्यायाधिकरण ने कहा, 'उदाहरण के तौर पर रतन एन टाटा और एनए सूनावाला को मिलने वाली पेंशन पूरी तरह से टाटा संस लिमिटेड से जुड़ी है। इसे न्यासी के तौर पर लाभ कहना पूरी तरह गलत है।' 

मिस्त्री ने जैसा किया, वैसा कोई नहीं करता

तीनों ट्रस्ट के पक्ष में फैसला सुनाने के साथ ही आइटीएटी ने साइरस मिस्त्री की भी खिंचाई की। न्यायाधिकरण ने कहा कि टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए जाने के कुछ सप्ताह बाद मिस्त्री ने आयकर विभाग को कंपनी की अनुमति के बिना दस्तावेज उपलब्ध कराए थे। इसे 'अंतरात्मा की आवाज और नैतिकता' कतई नहीं माना जा सकता।

आइटीएटी ने कहा, 'मिस्त्री 2013 से टाटा संस के चेयरमैन थे और 2006 से ही उसके डायरेक्टर थे। सब कुछ पता रहते हुए भी वह इतने समय तक चुप रहे। टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए जाते ही उन्होंने अपने नियंत्रण में रखे दस्तावेज की गलत तरीके से कॉपी कराई और आयकर विभाग को दे दिया। ऐसा काम सभ्य कॉरपोरेट जगत में देखने को नहीं मिलता।' मिस्त्री ने अक्टूबर, 2016 में पद से हटाए जाने के तीन हफ्ते बाद आयकर विभाग को दस्तावेज सौंपे थे। इन दस्तावेजों के आधार पर ही विभाग ने संशोधित आदेश जारी किया था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.