इराक पर प्रतिबंध लगने की स्थिति में भारत के सामने होगी तेल आपूर्ति सुनिश्चित करने की चुनौती
अगर अमेरिकी प्रतिबंध लागू होता है या इराक में तेल उत्पादन पर असर पड़ता है तो भारत के लिए ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने की चुनौती बढ़ जाएगी।
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। खाड़ी क्षेत्र में अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के जद में इराक भी आ चुका है। इराक की संसद ने एक प्रस्ताव पारित कर अमेरिकी सेना को वापस जाने का आदेश दे दिया है। इसके जवाब में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इराक पर भी अब तक का सबसे बड़ा प्रतिबंध लगाने का एलान कर दिया है। दोनो देशों के बीच हालात बिगड़ने से सबसे ज्यादा भारत पर असर पड़ने की आशंका सरकार को सताने लगी है।
इसके पीछे वजह यह है कि अभी भारत सबसे ज्यादा कच्चा तेल इराक से ही खरीद रहा है। और अगर अमेरिकी प्रतिबंध लागू होता है या इराक में तेल उत्पादन पर असर पड़ता है, तो भारत के लिए ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने की चुनौती बढ़ जाएगी। भारत के दो प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता वेनेजुएला व ईरान पहले से ही संकट में हैं।
इराक पर संकट गहराना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहद चिंताजनक खबर होगी। सोमवार को शेयर बाजार की मंदी और मुद्रा बाजार में रुपये की कीमत में आई गिरावट के लिए भी मुख्य तौर पर इसी चिंता को वजह बताया जा रहा है।तेल कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि ईरान व अमेरिका के बीच युद्ध जैसे हालात बनने के बावजूद हमें तेल आपूर्ति को लेकर बहुत ज्यादा चिंता नहीं है क्योंकि भारत अभी ईरान से तेल नहीं खरीद रहा है।
दूसरी तरफ इराक बीते वित्त वर्ष (2018-19) में भारत के लिए सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश था और इस साल भी यही स्थिति बनी रहने के आसार है। हालांकि अभी तक सरकारी व निजी क्षेत्र की तेल कंपनियों को इराक से होने वाली तेल आपूर्ति में भी कोई बाधा नहीं आई है। हकीकत में पिछले तीन-चार दिनों के दौरान भी भारतीय तेल कंपनियों ने इराक से तेल खरीदने का सौदा किया है।
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही यानी अप्रैल-सितंबर, 2019 में भारतीय तेल कंपनियों ने इराक से 2.60 करोड़ टन कच्चे तेल की खरीद की है। वित्त वर्ष 2018-29 में वहां से 4.6 करोड़ टन क्रूड खरीदा गया था।अधिकारियों के मुताबिक पेट्रोलियम मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के बीच लगातार संपर्क बना हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले दो कारोबारी दिनों में क्रूड की कीमत तकरीबन पांच फीसद बढ़ी है और सोमवार को बेंट क्रूड की कीमत 69.62 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंची है। बिगड़े हालातों में भारत के पास आपूर्तिकर्ता के रूप में रूस, अमेरिका और नाइजीरिया का विकल्प बचता है। नाइजीरिया आपातकालीन परिस्थितियों में एक विश्वस्त आपूर्तिकर्ता नहीं माना जाता। ऐसे में रूस और अमेरिका ही बचते हैं। पिछले वर्ष भारत ने अमेरिका से 62 लाख टन कच्चा तेल खरीदा था।