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आर्थिक सर्वे में सरकार ने कहा- पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान और लाजिस्टिक पालिसी मील का पत्थर

अहम बातभौतिक और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर का एक साथ विकास भारत की भविष्य की विकास यात्रा का सबसे प्रमुख आधार होगा। नई-नई तकनीकों के उभार के कारण नियमन को लेकर कुछ चुनौतियां भी उभरी हैं लेकिन उनका सामना कर लिया जाएगा।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputPublished: Tue, 31 Jan 2023 07:08 PM (IST)Updated: Tue, 31 Jan 2023 07:08 PM (IST)
बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सरकार ने खर्च भी बढ़ाया और निवेशकों का भरोसा भी लौटाया

नई दिल्ली, मनीष तिवारी। सड़कों के विकास जैसे बुनियादी ढांचे के कदम केवल आपका जीवन ही नहीं सुगम बनाते, बल्कि अर्थव्यवस्था को मजबूती भी देते हैं, खासकर तब और भी जब देश कोरोना महामारी जैसे अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहा हो। साल 2022-23 के आर्थिक सर्वे में सरकार ने कहा है कि पीएम गतिशक्ति, राष्ट्रीय लाजिस्टिक नीति जैसे दिशा बदलने वाले कदमों ने इकोनमी को रफ्तार भी दी है और भविष्य के लिए उम्मीदें भी बढ़ाई हैं।

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बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सरकार ने खर्च भी बढ़ाया

सर्वे के मुताबिक संकट के दौर में सरकार ने इस क्षेत्र में न केवल पूंजीगत खर्च बढ़ाया, बल्कि उन निजी निवेशकों की हिचक भी दूर की जो अपनी बैलेंस शीट को लेकर संशकित और हिचकिचाहट में थे। सर्वे में बुनियादी ढांचे के विकास को आर्थिकी के लिए बेहद अहम बताने के साथ सरकार ने यह संदेश भी दे दिया है कि बुधवार को केंद्रीय बजट में इस क्षेत्र को खासा महत्व मिलने वाला है। सर्वे के अनुसार सड़कों के नेटवर्क में पिछले आठ साल में व्यापक विस्तार हुआ है।

रेलवे और जलमार्गों के विकास में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। पोर्ट और एयरपोर्ट को लगातार अपग्रेड किया जा रहा है। देश में लाजिस्टिक लागत अभी जीडीपी के 14 से 18 प्रतिशत के दायरे में है, लेकिन इसका वैश्विक बेंचमार्क आठ प्रतिशत है और 2022 में लाई गई राष्ट्रीय लाजिस्टिक नीति का उद्देश्य मौजूदा लागत को एक अंक में यानी दस से कम के स्तर पर लाना है।

तमाम मंत्रालयों के बीच तालमेल सुधरा, अब सभी एक धरातल पर

2021 में पीएम गतिशक्ति यानी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कई मंत्रालयों को एक धरातल पर लाने के लिए राष्ट्रीय मास्टर प्लान की घोषणा की गई थी। इसने निर्णायक असर डाला है। न केवल विभागों और मंत्रालयों की एक कोने में कार्य करने की प्रवृत्ति टूटी है, बल्कि मल्टी मोडल और लास्ट माइल कनेक्टिविटी के मुद्दों को सुलझाने के लिए एकीकृत योजना बनाने तथा उसके क्रियान्वयन का आधार तैयार हुआ है।

सर्वे ने पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान को माना गया केंद्र

रोड, रेलवे, एयरपोर्ट, पोर्ट, सार्वजनिक परिवहन, जल मार्ग और लाजिस्टिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के सात इंजनों से संबंधित परियोजनाओं के लिए एक नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआइपी) का तंत्र बनाया गया है, जिसे पीएम गतिशक्ति के साथ जोड़ा जाना है। सर्वे ने पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान को केंद्र और राज्यों के बीच योजना और क्रियान्वयन में समन्वय के लिए बेहद अहम माना है। साथ ही यह उम्मीद भी जताई गई है कि इसके साथ जुड़कर लाजिस्टिक पालिसी साहसिक और महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचे के विकास के सफर के सभी कील-कांटे दुरुस्त कर देगी। इसमें केंद्र, राज्यों के साथ स्थानीय निकायों और निजी क्षेत्र की भी अहम भूमिका रहने वाली है।

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