रक्षा बजट में पिछले दस वर्षो में सबसे कम वृद्धि
आर्थिक सर्वे में भले ही देश की अर्थव्यवस्था के मंदी के दौर से निकलने के संकेत दिए गए हों, लेकिन रक्षा बजट से ऐसा कतई दिखाई नहीं दे रहा है। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने वित्त वर्ष 2013-14 का आम बजट पेश करते हुए रक्षा क्षेत्र के लिए पछले वित्त वर्ष की तुलना में 4.5 फीसद की मामूली बढ़ोतरी की है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बजट में देश की रक्षा जरूरतों को धन कम और आश्वासन अधिक मिला है। वित्तमंत्री ने देश की सुरक्षा के लिए धन की कमी न होने देने का रस्मी वादा तो किया है, लेकिन रक्षा बजट में पिछली बार के मुकाबले केवल पांच फीसद आवंटन बढ़ाया है। चालू वित्तवर्ष में 14 हजार करोड़ की कटौती झेलने के बाद अगले वित्तवर्ष में सैन्य आधुनिकीकरण योजनाओं की गाड़ी को मध्यम रफ्तार से ही बढ़ने की छूट मिल सकेगी।
इस बजट में सैन्य आधुनिकीकरण जैसी दीर्घकालिक परियोजनाओं की बजाय सीधे वोट लाभ देने वाली योजनाओं पर जोर ज्यादा नजर आता है। भारत के खजाने से खर्च होने वाले हर एक रुपये में से रक्षा बजट की हिस्सेदारी पिछले साल के मुकाबले 11 पैसे से घटकर 10 पैसे हो गई है। सैन्य जरूरतों के लिहाजा से लगातार यह बहस चल रही है कि भारत का रक्षा बजट सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] का कम से कम 2 फीसद तो हो। हकीकत यह है कि 2012-13 में रक्षा बजट जीडीपी का 1.9 फीसद था। वहीं, 2013-14 के लिए पेश नए बजट में इसका अंश घटकर 1.73 प्रतिशत रह गया है।
नए वित्तवर्ष के लिए रक्षा बजट में 2,03,672.12 करोड़ रुपये दिए गए हैं। यह 2012-13 के मुकाबले 10,265 करोड़ रुपये अधिक है। वैसे, यह बात और है कि पिछले बजट में रक्षा मंत्रालय को दिए 1,93,407.29 करोड़ के बजट में से वित्तमंत्री बीते दिनों 10 हजार करोड़ रुपये पूंजी मद से ही वापिस ले चुके हैं। आर्थिक मुश्किलों और सैन्य जरूरतों के बीच संतुलन साधने की जुगत में आधुनिकीकरण के लिए बजट में अबकी बार 2012-13 के मुकाबले 17,162 करोड़ रुपये अधिक दिए हैं। वहीं 126 लड़ाकू विमान सौदे, युद्ध हेलीकाप्टर खरीद समेत कई परियोजनाओं के मद्देनजर वायुसेना को सबसे ज्यादा 38,556 करोड़ रुपये मुहैया कराए गए हैं।
सीमित रक्षा बढ़ोतरी का हवाला देते हुए वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने अपने भाषण में कहा कि मैं रक्षामंत्री और सदन को आश्वस्त करना चाहूंगा कि देश की सुरक्षा में धन की कमी आड़े नहीं आने दी जाएगी। रक्षा मंत्री एके एंटनी ने भी कहा कि देश और दुनिया के आर्थिक हालात के मद्देनजर वित्तमंत्री ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के अच्छे प्रयास किए हैं। मुश्किल हालात में उन्होंने रक्षा क्षेत्र का भी ध्यान रखते हुए बजट बढ़ाया है।
घटी विकास दर के बीच रक्षा मंत्री के पास भी संतोष करने के अलावा कोई चारा नहीं था। रक्षा मंत्रालय ने सैन्य आधुनिकीकरण के लिए 2011 में अतिरिक्त 40 हजार करोड़ रुपये मुहैया कराए जाने की मांग की थी। साल 2012-13 के लिए मंत्रालय के बजट आवंटन भी पूरा नहीं मिल पाया। रक्षा थिंक टैंक इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस एंड स्ट्रेटेजिक एनालिसिस के विशेषज्ञ अमित कॉशिश कहते हैं कि आवंटन को खर्च क्षमता के अनुपात से देखा जाना चाहिए। वर्ष 2006-07 से 2011-12 के बीच रक्षा मंत्रालय बजट आवंटन के मुकाबले 25 हजार करोड़ रुपये खर्च नहीं कर पाया। साथ ही ऐसे में जब सालाना विकास की रफ्तार 5-6 फीसद पर आ पहुंची हो तो रक्षा बजट इससे अछूता नहीं रह सकता। इसलिए यह अपेक्षा बेमानी होगी कि रक्षा को 9-10 फीसद की विकास दर वाला आवंटन हासिल हो सकेगा।
पिछले दस वर्षो में रक्षा बजट में की गई वृद्धि निम्न हैं -
वित्त वर्ष बढ़ोतरी (प्रतिशत में)
2004-05 37 प्रतिशत
2005-06 7.8 प्रतिशत
2006-07 7.23 प्रतिशत
2007-08 14 प्रतिशत
2008-09 10 प्रतिशत
2009-10 34.19 प्रतिशत
2010-11 10.06 प्रतिशत
2011-12 11.59 प्रतिशत
2012-13 17.63 प्रतिशत
2013-14 4.5 प्रतिशत
हाईलाइट्स
- रक्षा बजट 203672 करोड़ रुपये। पिछले आवंटन के मुकाबले पांच फीसद अधिक।
- रक्षा मंत्रालय को नए बजट में 25,169 करोड़ रुपये अधिक दिए गये हैं।
-सैन्य आधुनिकीकरण के लिए पूंजी मद में 86741 करोड़ रुपये पिछले बजट से केवल 8.25 फीसद अधिक।
- चीनी सैन्य बजट के मुकाबले भारत का नया रक्षा बजट
- पूंजी मद में वायुसेना को सबसे ज्यादा 38556.16 करोड़ रुपये। जबकि थल सेना को 17640 व नौसेना को 9625 करोड़ रुपये का आवंटन।
- भारत सरकार के प्रति रुपया व्यय में रक्षा बजट की हिस्सेदारी 11 पैसे से घटकर 10 पैसे हो गई है।
-पिछली बार पूंजी मद में दी गई धनराशि में बाद में 14 हजार करोड़ की कटौती कर दी गई थी
टिप्पणी:-
रक्षा बजट में बढ़ोतरी पांच फीसद है जबकि देश में सालाना औसत मंहगाई दर साढ़े छह फीसद। आर्थिक तंगी के बीच रक्षा बजट में कमजोर बढ़ोतरी सैन्य आधुनिकीकरण परियोजनाओं को प्रभावित करेगी। हालांकि वित्तमंत्री ने भरोसा जरूर दिया है कि देश की सुरक्षा की परियोजनाओं को धन की कमी नहीं होने दी जाएगी।