एक और बड़ी तेल कंपनी बनाने की तैयारी, आम बजट में मिल सकते हैं संकेत
वित्त मंत्री जेटली ने कहा था कि बड़े जोखिम लेने व बड़े निवेश के लिए सरकारी कंपनियों में व्यापक पुनर्गठन की जरूरत है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। अगले वर्ष का आम बजट पेट्रोलियम क्षेत्र में बड़ी कंपनी बनाने की कोशिशों को और परवान चढ़ा सकता है। वैसे तो इस कोशिश की शुरुआत चालू वित्त वर्ष के बजट में हो गई थी और हाल ही में ओएनजीसी और एचपीसीएल के विलय के साथ इसे परवान भी चढ़ा दिया गया है। इससे भारत में भी अब दुनिया की दिग्गज तेल कंपनियों के मुकाबले एक कंपनी स्थापित हो गई है। इस सफलता से उत्साहित वित्त मंत्री अरुण जेटली अगले बजट में सरकारी क्षेत्र की तेल कंपनियों में विलय करने को बढ़ावा देने के लिए कुछ घोषणाएं कर सकते हैं।
आम बजट 2016-17 पेश करते हुए वित्त मंत्री जेटली ने कहा था, ‘बड़े जोखिम लेने व बड़े निवेश के लिए सरकारी कंपनियों में व्यापक पुनर्गठन की जरूरत है। यह काम तेल व गैस क्षेत्र में संभव है। हम एक समग्र तेल कंपनी बनाने का प्रस्ताव करते हैं।’ इसके कुछ महीने बाद ओएनजीसी और एचपीसीएल के विलय के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी थी जिसे पिछले हफ्ते ही अंतिम रूप दिया गया है। इससे सरकार के खजाने में 37 हजार करोड़ रुपये की राशि आई है और इससे विनिवेश लक्ष्य भी पूरा हो जाएगा। पेट्रोलियम मंत्रलय के सूत्रों के मुताबिक पिछले वर्ष भी सरकार ने यह नहीं कहा था कि किन कंपनियों का विलय किया जाएगा। आगे भी सरकार यह कंपनियों पर ही छोड़ देगी लेकिन विलय को सहूलियत देने के लिए कंपनियों को टैक्स छूट देने का विचार है।
पेट्रोलियम मंत्रलय और वित्त मंत्रलय के बीच बजटीय प्रस्तावों पर हुई चर्चा में इस विषय पर विस्तार से चर्चा हुई थी। इसमें पेट्रोलियम मंत्रलय की तरफ से बताया गया है कि ओएनजीसी और एचपीसीएल के बीच कागजों में विलय हो चुका है लेकिन इनके बीच पूरी तरह से विलय होने में अभी काफी वक्त लगेगा। मसलन, इस विलय के बाद भी दोनों कंपनियां शेयर बाजार में अभी अलग अलग सूचीबद्ध रहेंगी और एचपीसीएल को सरकारी कंपनी का मिला दर्जा जारी रहेगा। इसके अलावा दोनों कंपनियों की अपनी सब्सिडियरियां भी हैं जिनका विलय किया जाना है। आने वाले दिनों में जब इंडियन ऑयल, बीपीसीएल और गेल जैसी कंपनियों का विलय होगा तो उसमें भी कई तरह की विसंगतियां सामने आएंगी। मसलन, सरकार की एक योजना है कि गेल को दो हिस्सों में बांट कर उनका अलग-अलग कंपनियों में स्थापित किया जाए और बाद में इनमें दूसरी सरकारी तेल कंपनियों का विलय किया जाए। इसको लेकर भी कई तरह की कानूनी अड़चनें आएंगी। इसमें सहूलियत के लिए कुछ सुझाव पेट्रोलियम मंत्रलय की तरफ से भेजे गये हैं।
पेट्रोलियम मंत्रालय की तरफ से भेजे गये बजट प्रस्ताव में नई रिफाइनरी लगाने में ज्यादा टैक्स रियायत देने का प्रस्ताव भी भेजा गया है। पेट्रोलियम मंत्रलय देश के पश्चिमी समुद्री तट पर अभी तक की सबसे बड़ी रिफाइनरी लगाने की तैयारी कर रहा है। पेट्रोलियम मंत्रलय ने गैस आधारित इकॉनोमी को बढ़ावा देने के लिए भी कुछ सुझाव दिए हैं।