बंदरगाहों पर सड़ रहा करोड़ों का आयातित प्याज, दो सौ करोड़ का प्याज टर्की समेत कई देशों से हुआ आयात
विदेशों से मंगाये प्याज की क्वालिटी और कीमतें दोनों ठीक नहीं है जिसे न घरेलू व्यापारी पसंद कर रहे हैं और नहीं उपभोक्ता।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। पहले प्याज की कमी ने उपभोक्ताओं को परेशान किया तो अब आयातित प्याज की हजारों टन की खेप सरकारी खजाने को प्रभावित कर सकती है। टर्की समेत कई और देशों से मंगायी गई प्याज का बड़ा खेप विभिन्न बंदरगाहों पर सड़ रहा है। दिसंबर से जनवरी के बीच कुल आयातित प्याज का 90 फीसद हिस्सा घरेलू बंदरगाहों पर पहुंचा था, जिसकी कोई पूछ नहीं है। लिहाजा इन विलायती प्याज को सड़ने के लिए छोड़ दिया गया है।
विदेशों से मंगाये प्याज की क्वालिटी और कीमतें दोनों ठीक नहीं है, जिसे न घरेलू व्यापारी पसंद कर रहे हैं और नहीं उपभोक्ता। बड़े आकार और रंग रूप के साथ स्वाद को लेकर घरेलू उपभोक्ता इसे पंसद नहीं कर रहा है। आयातित प्याज 50 से 58 रुपये किलो की दर से बंदरगाह तक पहुंचा है। इस हिसाब से लगभग दो सौ करोड़ रुपये का प्याज बंदरगाहों पर पड़ा हुआ है। सरकार इसे राज्यों को 22 रुपये किलो तक पर बेचने को राजी है। इसके बावजूद इसकी खरीद को कोई तैयार नहीं हुआ।
दरअसल, घरेलू प्याज की खेप सब्जी बाजार में पहुंच चुकी है, जिसका थोक भाव 17 से 20 रुपये किलो बोला जाने लगा है। ऐसे में भला कोई विलायती प्याज 22 रुपये किलो क्यों खरीदेगा। खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक कुल 41,500 टन प्याज के आयात का सौदा किया गया था। लेकिन बाद में 5300 टन प्याज के निर्यात सौदे रद्द कर दिये गये। कुल शुद्ध आयात 36,200 टन का हुआ है। आयातित प्याज में से मात्र 2000 टन प्याज ही विभिन्न राज्य सरकारों ने उठाया है।
आन लाइन पोर्टल पर इन विलायती प्याज की कीमत 11 रुपये किलो तक बोली गई है। प्याज आयात करने वाले प्रबंधकों का नया प्रस्ताव इस प्याज को जैसे तैसे आन लाइन पोर्टल के साथ केंद्रीय एजेंसियों के हाथ बेचने का है। आयातित प्याज में से 32,000 टन से ज्यादा प्याज अभी भी बंदरगाहों पर पड़ी हुई है। प्याज के आयात का फैसला तब लिया गया था, जब घरेलू बाजार में प्याज की भारी किल्लत हो गई थी, जिससे कीमतें 150 रुपये किलो के स्तर तक पहुंच गई थीं। सब्जी बाजार में प्याज की आवक सप्ताह दर सप्ताह बढ़ रही है। प्याज आयात करने के फैसले को लेकर अब सरकार के मंत्रालयों के बीच तनातनी चल रही है। प्याज आयात करने के समय, मात्रा और क्वालिटी को लेकर अंदरुनी तौर पर विवाद शुरु हो गया है। यह मसला बजट सत्र के दूसरे चरण में संसद में भी उठ सकता है। वैसे तो तत्कालीन सचिवों की समिति के फैसले से प्याज का आयात किया गया।