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राज्यों को केंद्रीय कर में ज्यादा अंश के असर की होगी समीक्षा

सरकार ने 15वें वित्त आयोग को अन्य कई चीजों के अलावा सरकारी वित्त के समुचित प्रबंधन पर रोडमैप तैयार करने के लिए अपनी अनुशंसा देने को कहा है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sat, 24 Feb 2018 11:02 AM (IST)Updated: Sat, 24 Feb 2018 11:58 AM (IST)
राज्यों को केंद्रीय कर में ज्यादा अंश के असर की होगी समीक्षा
राज्यों को केंद्रीय कर में ज्यादा अंश के असर की होगी समीक्षा

नई दिल्ली (पीटीआई)। वित्त आयोग के चेयरमैन एन. के. सिंह ने शुक्रवार को कहा कि केंद्रीय कर में राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ाकर 42 फीसद किए जाने के असर की समीक्षा की जाएगी। इससे पता चलेगा कि केंद्र के इस फैसले का राज्यों पर क्या असर हुआ है। सिंह ने कहा कि राज्यों में चलने वाली केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) में भी सरकार और ज्यादा संसाधन लगा रही है। ऐसे में राज्यों को केंद्रीय कर में हिस्सेदारी और बढ़ाने पर समग्रता में विचार किया जाएगा।

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सरकार ने 15वें वित्त आयोग को अन्य कई चीजों के अलावा सरकारी वित्त के समुचित प्रबंधन पर रोडमैप तैयार करने के लिए अपनी अनुशंसा देने को कहा है। आइसीआरआइईआर की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में सिंह ने कहा, ‘हम इसका आकलन करेंगे कि राज्यों में चल रही केंद्र प्रयोजित योजनाओं में अतिरिक्त पूंजी लगाने और केंद्रीय कर में राज्य की हिस्सेदारी 32 फीसद से बढ़ाकर 42 फीसद करने से मनमाफिक उद्देश्य हासिल हुए हैं या नहीं। राज्यों की मांग केंद्रीय कर में उनकी हिस्सेदारी और बढ़ाने की है, और हम निश्चित तौर पर इस मसले पर काम कर रहे हैं।’

पूर्व आरबीआइ गवर्नर वाई. वी. रेड्डी के नेतृत्व वाले 14वें वित्त आयोग ने केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी में रिकॉर्ड बढ़ोतरी की अनुशंसा की थी। जी-20 देशों के समूह में भारत के प्रतिनिधि और वर्तमान वित्त आयोग के सदस्य शक्तिकांत दास ने कहा कि पिछले एक दशक में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) की भूमिका भी काफी बदली है। उन्होंने कहा, ‘आइएमएफ कई बार अपनी राजनीतिक सीमाओं से आगे बढ़कर दखलंदाजी करता नजर आया है। ऐसे में राज्यों को संरचनात्मक सुधारों पर बेहद सावधानी से विचार करना होगा।’


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