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अमेरिका-चीन के बीच चल रहे ट्रेड वार से ग्‍लोबल ग्रोथ को खतरा, IMF ने दी चेतावनी

IMF ने यह चेतावनी दी है कि अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड टेंशन बढ़ने से ग्‍लोबल सप्‍लाई चेन में बाधा आ सकती है और 2019 में इकोनॉमिक ग्रोथ में सुधार का अनुमान जोखिम में पड़ सकता है

By Manish MishraEdited By: Published: Fri, 24 May 2019 11:36 AM (IST)Updated: Fri, 24 May 2019 11:36 AM (IST)
अमेरिका-चीन के बीच चल रहे ट्रेड वार से ग्‍लोबल ग्रोथ को खतरा, IMF ने दी चेतावनी
अमेरिका-चीन के बीच चल रहे ट्रेड वार से ग्‍लोबल ग्रोथ को खतरा, IMF ने दी चेतावनी

वॉशिंगटन (पीटीआई)। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने यह चेतावनी दी है कि अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड टेंशन बढ़ने से ग्‍लोबल सप्‍लाई चेन में बाधा आ सकती है और 2019 में इकोनॉमिक ग्रोथ में सुधार का अनुमान जोखिम में पड़ सकता है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 200 अरब डॉलर मूल्य के चीन से होने वाले आयात पर शुल्क बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने के कुछ दिनों बाद IMF ने यह बयान दिया है।

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पिछले साल मार्च में अमेरिका द्वारा चीन से आयातित इस्पात और एल्युमीनियम पर भारी शुल्क लगाए जाने के बाद से विश्व की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार को लेकर तनाव बढ़ा है। चीन ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए अरबों डॉलर मूल्य के अमेरिकी आयात पर शुल्क लगा दिया। इससे ग्‍लोबल ट्रेड वार की आशंका बढ़ी है।

ट्रंप ने 10 मई को चीन से आयातित 200 अरब डॉलर मूल्य के उत्पादों पर शुल्क को 10 फीसद से बढ़ाकर 25 फीसद कर दिया। उसके बाद व्यापार तनाव और बढ़ा है। IMF ने अपने एक ब्लॉग में कहा है कि इस तनाव से स्पष्ट रूप से अमेरिका तथा चीन के कंज्‍यूमर्स को सबसे अधिक नुकसान हो रहा है। इस ब्लॉग को यूजिनो सेरूति, गीता गोपीनाथ तथा आदिल मोहम्मद ने लिखा है।

सेरूति फिलहाल IMF के शोध विभाग में निदेशक के सहायक हैं, मोहम्मद शोध विभाग में अर्थशास्त्री तथा भारतीय मूल की गोपीनाथ मोनेटरी फंड की प्रमुख अर्थशास्त्री हैं। IMF ने कहा कि हाल में अमेरिका ने शुल्क बढ़ाया और जवाब में चीन ने भी शुल्क बढ़ाने की घोषणा की है, उससे दोनों देशों के बीच सभी व्यापार प्रभावित होंगे। इससे वैश्विक जीडीपी निकट भविष्‍य में 0.33 प्रतिशत प्रभावित होगी। 

इसमें कहा गया है कि व्यापार मतभेद को अगर दूर नहीं किया जाता है और इसका असर अगर आगे व्‍हीकल इंडस्‍ट्री जैसे अन्य क्षेत्रों पर बढ़ता है तो इसका असर कई देशों पर होगा। इसका व्यापार एवं वित्तीय बाजार धारणा पर असर पड़ेगा, इमर्जिंग मार्केट्स के बॉन्‍ड ब्याज तथा करेंसी पर भी नकारात्मक असर होगा और निवेश तथा व्यापार सुस्‍त पड़ेगा।

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