Move to Jagran APP

IMF ने गिनाई वित्त मंत्री की चुनौतियां, अर्थव्यवस्था के सुधार के लिए दिए कई सुझाव

आइएमएफ ने परोक्ष तौर पर सरकार को सलाह दी है कि उसे फिलहाल विकास दर की रफ्तार को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।

By NiteshEdited By: Published: Tue, 24 Dec 2019 08:07 PM (IST)Updated: Tue, 24 Dec 2019 08:07 PM (IST)
IMF ने गिनाई वित्त मंत्री की चुनौतियां, अर्थव्यवस्था के सुधार के लिए दिए कई सुझाव
IMF ने गिनाई वित्त मंत्री की चुनौतियां, अर्थव्यवस्था के सुधार के लिए दिए कई सुझाव

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अगर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की बात मान लेती हैं तो यह समझिए कि अगले वित्त वर्ष के बजट में उन्हें कम से कम आधा दर्जन बड़े नीतिगत फैसले करने होंगे। भारतीय अर्थव्यवस्था की बेहद नासाज तस्वीर पेश करते हुए आईएमएफ ने साफ तौर पर कहा है कि सरकार मौजूदा आर्थिक सुस्ती के दौर को अगर ज्यादा लंबा नहीं खींचना चाहती तो राजकोषीय नीति, मौद्रिक नीति और वित्तीय सुधार से जुड़ी नीतियों को लेकर कुछ बड़े बदलाव करने होंगे। आइएमएफ ने सोमवार को देर रात अमेरिका में भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट आइएमएफ की चीफ इकोनोमिस्ट गीता गोपीनाथ के भारत दौरे के दो दिनों बाद ही जारी किया गया है। वैसे भारत की संभावित आर्थिक विकास दर को लेकर यह संस्थान अगले महीने एक दूसरी रिपोर्ट भी जारी करेगी।

loksabha election banner

आइएमएफ के एशिया विभाग के उप निदेशक रानिल सल्डागो के मुताबिक, ''भारत एक बड़े आर्थिक मंदी के गिरफ्त में है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में विकास दर घट कर महज 4.5 फीसद रह गई है। आंकड़े बता रहे हैं कि निजी निवेश में सिर्फ एक फीसद की वृद्धि हुई है। मंदी की यह स्थिति दिसंबर में भी बने रहने के संकेत है।'' इस हालात के लिए जो वजहें बताई गई हैं उनमें गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की स्थिति खराब होने और दूसरे स्त्रोतों से कर्ज बांटने की रफ्तार एकदम कम किये जाना सबसे उपर है। वैसे तो पूरे देश में निजी खपत की रफ्तार बेहद कम हो गई है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति सबसे ज्यादा चिंता का कारण है। इसी तरह से जीएसटी को लागू करने में आने वाली दिक्कतों को भी मौजूदा दशा के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।अब करते हैं कि उन उपायों की जो आइएमएफ की नजर में फिलहाल बेहद जरुरी हो गए हैं। मौद्रिक नीति के बारे में इसने कहा है कि महंगाई में हाल के दिनों में तेजी का रुख है लेकिन सुस्ती इतनी गहरी है कि उसमें सुधार के लिए ब्याज दरों में और कटौती की जाने की गुंजाइश है। इसी तरह से राजकोषीय स्तर पर सरकार के पास बहुत ज्यादा गुंजाइश नहीं है कि वह व्यय को बढ़ावा दे।

आइएमएफ ने परोक्ष तौर पर सरकार को सलाह दी है कि उसे फिलहाल विकास दर की रफ्तार को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। हां, घरेलू स्तर पर राजस्व को बढ़ाने के दूसरे जो भी उपाय हो उसे करने के साथ ही सब्सिडी कटौती फिलहाल वक्त की जरुरत है। आईएमएफ ने सबसे ज्यादा फाइनेंशिएल सेक्टर की खराब स्थिति पर ध्यान देने की सलाह सरकार को दी है।

भारत के समूचे वित्तीय सेक्टर सरकारी बैंकों, एनबीएफसी, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों की माली हालात को बेहद खराब बताते हुए इनके लिए एक समग्र सोची समझी रणनीति लाने की सलाह दी है। इन उपायों को सुझाने के साथ ही आइएमएफ ने कहा है कि ढांचागत सुधार की जरुरत अभी पहले से भी ज्यादा है। भूमि, श्रम, गवर्नेंस सुधार जैसे मुद्दे लंबी अवधि में विकास दर को तेज करेंगे। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.