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टूट नहीं रही कारखानों की सुस्ती

जागरण संवाददाता, सहारनपुर। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने सीबीआइ को केंद्र सरकार का घटक दल करार दिया है। उन्होंने कहा, संप्रग सरकार अल्पमत में है और सिर्फ सीबीआइ पार्टी के कारण चल रही है। उन्होंने मां शाकंभरी देवी से केंद्र सरकार के विनाश का आशीर्वाद भी मांगा।

By Edited By: Published: Fri, 12 Apr 2013 08:33 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अर्थव्यवस्था में जान फूंकने की सरकार की कोशिशें काम नहीं आ रही हैं। तमाम उपायों के बावजूद कारखानों की सुस्ती टूट नहीं पा रही है। फरवरी में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 0.6 फीसद पर ही सिमट गई है। जनवरी में कारखानों में उत्पादन 2.4 फीसद की रफ्तार से बढ़ा था। हालांकि, महंगाई के मोर्चे पर सरकार को कुछ राहत मिली है। खुदरा महंगाई की दर मार्च में मामूली घटकर 10.39 फीसद पर आ गई है।

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महंगाई और औद्योगिक उत्पादन की दर में गिरावट के बाद ब्याज दरों में और कमी की उम्मीद बढ़ गई है। रिजर्व बैंक अगले महीने चालू वित्त वर्ष 2013-14 के लिए अपनी मौद्रिक नीति घोषित करेगा। औद्योगिक उत्पादन की मौजूदा रफ्तार बीते साल फरवरी के 4.3 फीसद के मुकाबले काफी तेजी से घटी है। हालांकि, अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आठ बुनियादी उद्योगों के खराब प्रदर्शन के बाद औद्योगिक उत्पादन [आइआइपी] की वृद्धि दर शून्य से नीचे जाने की उम्मीद थी। मगर ऐसा नहीं हुआ। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने आइआइपी के निगेटिव जोन में नहीं जाने पर संतोष जताया। उन्होंने उम्मीद जताई है कि वित्त वर्ष 2013-14 औद्योगिक उत्पादन के लिहाज से बेहतर रहेगा।

दूसरी तरफ, महंगाई के मोर्चे पर सरकार को कुछ राहत मिली है। पांच महीने बाद खुदरा महंगाई में वृद्धि पर लगी लगाम ने ब्याज दरों में कमी का रास्ता खोला है। खास तौर पर सब्जियों और अंडा, मांस मछली, दूध जैसे प्रोटीन उत्पादों की कीमतों में कमी ने खुदरा महंगाई को नीचे लाने में मदद की है।

फरवरी में औद्योगिक उत्पादन में कमी की मूल वजह बिजली, खनन और मैन्यूफैक्चरिंग का खराब प्रदर्शन रही है। इस महीने खनन क्षेत्र के उत्पादन में 8.1 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि बिजली का उत्पादन 3.2 प्रतिशत गिरा है। मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के उत्पादन में 2.2 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई है। इन तीनों क्षेत्रों के लगातार खराब प्रदर्शन से वित्त वर्ष 2012-13 की अप्रैल-फरवरी अवधि में औद्योगिक उत्पादन की दर घटकर मात्र 0.9 फीसद रह गई है। इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह 3.5 फीसद थी।

मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में कंज्यूमर ड्यूरेबल उत्पादों की मांग में कमी अभी भी बनी हुई है। लिहाजा, इसके उत्पादन की रफ्तार भी धीमी ही है। फरवरी में कंज्यूमर ड्यूरेबल उत्पादों का उत्पादन 2.7 फीसद घट गया। कंज्यूमर ड्यूरेबल कंपनियों का मानना है कि कीमत के लिहाज से केवल प्रीमियम और शुरुआती स्तर के उत्पादों में ही मांग बनी हुई है। जबकि इस उद्योग की बड़ी हिस्सेदारी मध्यम वर्ग के उत्पादों की है।


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