औद्योगिक उत्पादन गिरा, सरकार को आंकड़ों पर शक
कारखानों के प्रदर्शन में सुधार की उम्मीद देख रही सरकार को नवंबर, 2012 के औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों ने झटका दिया है। इस महीने कारखानों के उत्पादन में 0.1 फीसद की गिरावट ने सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं। नवंबर, 2011 में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर छह फीसद थी। हालांकि, खुद सरकार में ही औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों की विश्वसनीयता को लेकर सवाल उठने लगे हैं। औद्योगिक उत्पादन और निर्यात के आंकड़ों की गफलत को लेकर आंकड़े एकत्र करने के सरकारी तंत्र पर पहले भी सवाल उठ चुके हैं।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कारखानों के प्रदर्शन में सुधार की उम्मीद देख रही सरकार को नवंबर, 2012 के औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों ने झटका दिया है। इस महीने कारखानों के उत्पादन में 0.1 फीसद की गिरावट ने सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं। नवंबर, 2011 में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर छह फीसद थी। हालांकि, खुद सरकार में ही औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों की विश्वसनीयता को लेकर सवाल उठने लगे हैं। औद्योगिक उत्पादन और निर्यात के आंकड़ों की गफलत को लेकर आंकड़े एकत्र करने के सरकारी तंत्र पर पहले भी सवाल उठ चुके हैं।
अक्टूबर में ही औद्योगिक उत्पादन में 8.3 फीसद की ऊंची छलांग दर्ज की गई थी। लेकिन, ठीक एक महीने बाद कारखानों का उत्पादन औंधे मुंह गिर गया है। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने तो हर महीने एकत्र किए जाने वाले आंकड़ों को गैर भरोसेमंद करार दिया है। उनके मुताबिक अब दिसंबर के आंकड़े अर्थव्यवस्था की तस्वीर स्पष्ट करेंगे।
औद्योगिक उत्पादन के ताजा आंकड़ों के मुताबिक मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र का उत्पादन नवंबर में सिर्फ 0.3 फीसद बढ़ा है। जबकि पिछले साल इसमें 6.6 फीसद की रफ्तार से वृद्धि हुई थी। इसके विपरीत खनन क्षेत्र के उत्पादन में 5.5 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। वैसे, इन आंकड़ों को देखते हुए रिजर्व बैंक से मौद्रिक नीति की समीक्षा में ब्याज दरों में कमी की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
बिजली और कैपिटल गुड्स क्षेत्र की धीमी रफ्तार सरकार के लिए चिंता बन रही है। कैपिटल गुड्स में नवंबर में 7.7 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। जबकि बिजली उत्पादन बढ़ने की रफ्तार नवंबर में 2.4 फीसद ही रह गई है। कैपिटल गुड्स की धीमी रफ्तार जहां भविष्य में कारखानों के धीमे विस्तार के संकेत दे रही है वहीं बिजली के उत्पादन की रफ्तार कम होने से औद्योगिक क्षेत्र की समस्याएं बढ़ेंगी, जिससे कारखानों का उत्पादन प्रभावित होगा।
उपभोक्ता उत्पादों के वर्ग में भी उत्पादन की रफ्तार नवंबर में बेहद धीमी रही है। उपभोक्ता उत्पादों का उत्पादन नवंबर में एक फीसद की रफ्तार से बढ़ा तो टिकाऊ उपभोक्ता सामानों के उत्पादन में मात्र 1.9 फीसद की ही वृद्धि हुई। उपभोक्ता उत्पादों के उत्पादन में कमी अर्थव्यवस्था में मांग में कमी के संकेत दे रही है।
कारखानों के उत्पादन में महीने दर महीने हो रही कमी ने चालू वित्त वर्ष के लिए अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया है।
सरकार मान रही थी कि वित्त वर्ष की पहली छमाही में अर्थव्यवस्था की रफ्तार में कमी अपने चरम को छू चुकी है और दूसरी छमाही से इसमें सुधार दिखना शुरू होगा। लेकिन, नवंबर के आंकड़ों ने सरकार के इन अनुमानों को गलत ठहराया है। अप्रैल-नवंबर के आठ महीनों में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर केवल एक फीसद पर ही सिमट गई है।