PNB घोटाला: ICICI की कोचर और एक्सिस बैंक की शिखा तलब
आईसीआईसीआई बैंक ने 31 बैंकों के एक कंसोर्टियम का नेतृत्व किया जिन्होंने गीतांजलि समूह के लिए पैसा उधार दिया है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। 12 हजार करोड़ से ज्यादा के पीएनबी घोटाले में दो निजी बैंकों आइसीआइसीआइ की प्रमुख चंदा कोचर व एक्सिस बैंक की प्रमुख शिखा शर्मा को सीरियस फ्रॉड इंवेस्टीगेशन ऑफिस (एसएफआइओ) ने समन भेजकर बुलाया। आइसीआइसीआइ बैंक ने मेहुल चोकसी की गीतांजलि जेम्स को पिछले साल 1000 करोड़ का और एक्सिस बैंक ने 700 करोड़ का कर्ज दिया था। यह खबर आने के बाद बांबे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) ने भी दोनों बैंकों से सफाई मांगी।
सूत्रों के अनुसार, एसएफआइओ ने नीरव मोदी व मेहुल चौकसी से कारोबार करने वाले सभी 31 बैंकों के शीर्ष अफसरों से पूछताछ का फैसला किया है। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआइ के अफसरों को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया है। मंगलवार दोपहर को एक्सिस बैंक के डिप्टी एमडी वी. श्रीनिवासन के नेतृत्व में बैंक के व्यापार और लेनदेन विभाग के कार्यकारी अधिकारी मुंबई स्थित एसएफआइओ दफ्तर में पेश हुए। ये अधिकारी करीब दो घंटे तक वहां रहे। बताते हैं कि उनसे नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की कंपनियों के साथ उनके कामकाज के बारे में पूछताछ की गई। बता दें कि एसएफआइओ कारपोरेट मामलों के मंत्रलय के अधीन कार्य करता है।
कंसोर्टियम को लीड किया था आइसीआइसीआइ ने: पता चला है कि आइसीआइसीआइ बैंक ने 31 बैंकों के एक कंसोर्टियम का नेतृत्व किया था, जिन्होंने गीतांजलि समूह को कर्ज दिया था। सूत्रों का कहना है कि बैंक के वरिष्ठ अफसरों से केवल स्पष्टीकरण के लिए पूछताछ की जा रही है न कि आरोपितों के रूप में। आइसीआइसीआइ बैंक ने स्पष्ट किया था कि निजी बैंकों का नीरव मोदी समूह की कंपनियों से कोई संपर्क नहीं था, लेकिन वह तमाम बैंकों से इस ग्रुप के लिए कार्यशील पूंजी जारी कर रहा था। यह मामला भी नीरव मोदी व मेहुल चौकसी और उनकी कंपनियों द्वारा पीएनबी के साथ की गई धोखाधड़ी से जुड़ा है।
गीतांजलि समूह का उपाध्यक्ष चितालिया गिरफ्तार:
सीबीआइ ने गीतांजलि कंपनी समूह के उपाध्यक्ष (बैंकिंग) विपुल चितालिया को गिरफ्तार कर लिया है। सीबीआइ ने उसे मुंबई एयरपोर्ट से पकड़ा और सीधे बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स स्थित अपने दफ्तर ले गई। उनसे पूछताछ जारी है।
बड़े कर्जदारों के पासपोर्ट का ब्योरा जुटाने के निर्देश:
वित्त मंत्रलय ने सभी सरकारी बैंकों को निर्देश दिया है कि वे 45 दिनों में पांच करोड़ से ज्यादा के सभी बड़े कर्जदारों के पासपोर्ट का ब्योरा जुटा लें। यदि किसी पर पासपोर्ट नहीं हैं तो उससे शपथपत्र पत्र पर यह लिखवाने का निर्देश दिया गया है। कर्ज के आवेदन पत्रों में पासपोर्ट का ब्योरा लेने को कहा गया है।