लंबित मामलों को जल्द निपटाने के लिए आइसीएआइ ने नई बेंच बनाई
अनुशासनात्मक मामलों की लंबित जांच में तेजी लाने के लिए आइसीएआइ ने अनुशासनात्मक बोर्ड की एक और बेंच गठित की है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। अनुशासनात्मक मामलों की लंबित जांच में तेजी लाने के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आइसीएआइ) ने अनुशासनात्मक बोर्ड की एक और बेंच गठित की है। चार्टर्ड एकाउंटेंट के शीर्ष संगठन ने कहा कि पुरानी अनुशासनात्मक प्रणाली (चार्टर्ड एकाउंटेंट्स एक्ट- 1949 की धारा 21डी) के तहत लंबित मामलों को सुनवाई तेज करने से निपटाया गया।
आइसीएआइ के प्रेसिडेंट नवीन गुप्ता ने कहा कि चालू वर्ष में अनुशासनात्मक बोर्ड की एक और पीठ गठित की गई ताकि जांच के लिए लंबित मामलों की सुनवाई में तेजी आ सके और शुरुआती तौर पर मामलों को निपटाया जा सके।
गुप्ता ने कहा कि 2014-15 में आइसीएआइ के अनुशासनात्मक निदेशालय के तहत कुल 185 मामलों को निपटाया गया। 2015-16 में यह संख्या बढ़कर 402 हो गई। यह संख्या 2016-17 में 284 और 2017-18 में 875 रही। चालू वित्त वर्ष 2018-19 में 17 अक्टूबर तक आइसीएआइ के अनुशासनात्मक निदेशालय के तहत 365 मामले निपटाए गए हैं।
इसके साथ ही आइसीएआइ की गवर्निग काउंसिल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अनुशासनात्मक मामलों की सुनवाई (ई-हियरिंग) के लिए मंजूरी दे दी और अनुशासनात्मक नियमावली में किए जाने वाले प्रासंगिक संशोधनों का मसौदा मंजूरी के लिए कंपनी मामलों के मंत्रालय को भेज दिया गया है।
नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिग अथॉरिटी (एनएफआरए) के गठन के बारे में गुप्ता ने कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की विधिक राय के मुताबिक एनएफआरए संवैधानिक रूप से वैध नहीं है और यह आइसीएआइ के अधिकारों का अतिक्रमण करता है। उन्होंने कहा कि लगता है सरकार ने इस तथ्य पर गौर नहीं किया कि अगर कोई नियामक संस्था पहले से मौजूद है और उसकी संवैधानिकता संदेह से परे है तो उसी नियमन के लिए दूसरी संस्था नहीं बनाई जानी चाहिए।