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NCLT में गई समाधान योजना न बदलेगी, न वापस होगी : सुप्रीम कोर्ट

पीठ के अनुसार देश में इंसाल्वेंसी के मौजूदा ढांचे में सीओसी द्वारा अनुमोदित समाधान योजना को एक बार सक्षम प्राधिकार में पेश कर दिए जाने के बाद में बदलाव या उसे वापस लेने की कोई गुंजाइश नहीं है।

By NiteshEdited By: Published: Tue, 14 Sep 2021 11:33 AM (IST)Updated: Tue, 14 Sep 2021 11:33 AM (IST)
NCLT में गई समाधान योजना न बदलेगी, न वापस होगी : सुप्रीम कोर्ट
IBC Resolution Plan Submitted To NCLT Cannot Be Withdrawn Says Supreme Court

नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही कंपनी के कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) द्वारा अनुमोदित समाधान योजना एक बार एनसीएलटी में चली गई, फिर उसमें बदलाव या उसे वापस लिया जाना संभव नहीं है। कोर्ट के अनुसार अगर ऐसी इजाजत दे दी गई तो सौदेबाजी की नई प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, जिस पर कोई कानूनी नियंत्रण नहीं रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में पेश समाधान योजना इंसाल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) और कारपोरेट इंसाल्वेंसी रिजाल्यूशन प्रोसीडिंग्स (सीआइआरपी) के प्रविधानों के अनुसार सीओसी और सफल समाधान आवेदक के बीच बाध्यकारी करार है।

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सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की पीठ ने एडुकांप मामले में सोमवार को आइबीसी की जरूरत, महत्व और मूल भावना पर 190 पन्नों के फैसले में विस्तार से प्रकाश डाला। पीठ ने हाल ही में वित्त पर संसद की एक स्थायी समिति की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि दिवालिया प्रक्रिया के 71 फीसद से अधिक मामले 180 दिनों से अधिक समय से एनसीएलटी में लंबित हैं। यह सीआइआरपी के मूल उद्देश्यों और समय सीमा से विचलन है। कोर्ट ने एनसीएलटी और नेशनल कंपनी ला अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनक्लैट) से भी कहा कि वे इस तरह की देरी के प्रति संवेदनशील हों, क्योंकि न्यायिक प्रक्रिया में इस तरह की देरी ही पुरानी व्यवस्था की विफलता की मुख्य वजह रही।

पीठ के अनुसार देश में इंसाल्वेंसी के मौजूदा ढांचे में सीओसी द्वारा अनुमोदित समाधान योजना को एक बार सक्षम प्राधिकार में पेश कर दिए जाने के बाद में बदलाव या उसे वापस लेने की कोई गुंजाइश नहीं है।कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मौजूदा ढांचे में समाधान योजना को सिर्फ आइबीसी की प्रक्रियाओं का अनुपालन करते हुए विशिष्ट परिस्थितियों में ही वापस लिया जा सकता है। इसके साथ ही आइबीसी के तहत समाधान प्रक्रिया 330 दिनों के भीतर पूरी कर लेनी है और इसे अपवाद-स्वरूप ही बढ़ाया जा सकता है। अगर इसके किसी सिरे को खुला छोड़ा गया तो कारपोरेट कर्जदाताओं और कुल मिलाकर इकोनामी पर बुरा असर होगा, क्योंकि समय बीतते जाने के साथ संपत्ति का मूल्य लगातार घटता जाएगा।

यह था मामला

एडुकांप के समाधान मामले में एनसीएलटी ने एबिक्स सिंगापुर प्राइवेट लिमिटेड को समाधान योजना वापस लेने की अनुमति दे दी थी। एनक्लैट ने एनसीएलटी के इस आदेश को खारिज कर दिया। एबिक्स ने एनक्लैट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट में इसी तरह के दो और मामलों पर याचिकाएं लंबित थीं।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा

आइबीसी का अस्तित्व में आना इंसाल्वेंसी कानून के लिए ऐतिहासिक क्षण था, जिसने सभी कानूनी प्रक्रियाओं को एक कोड में समेट दिया- एनसीएलटी में पेश की जा चुकी समाधान योजना को वापस लिए जाने या बदलाव की जरूरत का फैसला विधायिका की सूझबूझ पर छोड़ना उचित रहेगा- कानून में वर्णित उपायों से अलग कोई व्यवस्था देने से न सिर्फ शक्ति विभाजन के सिद्धांतों का उल्लंघन होगा, बल्कि आइबीसी के ढांचे को भी चोट पहुंचेगी।


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