उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा हवाई अड्डों का निजीकरण
भारत समेत विश्व के अनेक हवाई अड्डों का निजीकरण हुआ है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन आयटा ने दुनिया भर की सरकारों को हवाई अड्डों के निजीकरण के प्रति आगाह किया है। एसोसिएशन का कहना है कि निजी एयरपोर्ट ऑपरेटर उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं।
दुनिया भर की एयरलाइनों के जेनेवा स्थिति संगठन आयटा के प्रमुख अलेक्जेंडर डि जूनियाक ने कहा सरकारों को हवाई अड्डों के निजीकरण को लेकर सतर्क रवैया अपनाना चाहिए क्योंकि जिन हवाई अड्डों का निजीकरण हुआ है, वे उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं।
भारत समेत विश्व के अनेक हवाई अड्डों का निजीकरण हुआ है। लेकिन निजीकरण के बाद इन्हें विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इनमें स्लॉट की समस्या प्रमुख है। इसलिए निजी हवाई अड्डों को राष्ट्रहित में सख्त नियमों के तहत संचालित व संरक्षित किया जाना चाहिए।
इस समय भारत समेत विभिन्न देशों की 275 एयरलाइन आयटा की सदस्य हैं और वैश्विक हवाई यातायात के 83 फीसद हिस्से का प्रतिनिधित्व करती हैं। आयटा ग्लोबल मीडिया डे के अवसर पर बोलते हुए जूनियाक ने कहा कि जितनी तेजी से हवाई यातायात में वृद्धि हो रही है, उतनी तेजी से एयरपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार नहीं किया जा रहा है। नतीजतन, हवाई अड्डों पर एयरलाइनों को पर्याप्त स्लॉट नहीं मिल पा रहे हैं।
इसका साफ मतलब है कि समन्वय की कमी है। स्लॉट को लेकर समन्वय की समस्या का सामना कर रहे लगभग दो-तिहाई एयरपोर्ट यूरोप में हैं। कमोबेश यही स्थिति बाकी देशों में भी है। सिडनी, बैंकाक, मनीला, जकार्ता, मुंबई, मेक्सिको सिटी, न्यूयॉर्क, साओ पाउलो किसी भी एयरपोर्ट को देखें, सबका यही हाल है। इससे पता चलता है कि इंफ्रास्ट्रक्चर की चुनौती कितनी बड़ी है। आयटा के महानिदेशक एवं सीईओ ने सीमित क्षमता का वैश्विक मानकों के अनुरूप कुशल आवंटन सुनिश्चित करने के लिए सरकारों का आहवान किया।
स्लॉट की समस्या विशेषकर भारत के दो हवाई अड्डों- दिल्ली और मुंबई में ज्यादा है। दोनों जगहों पर क्षमता के मुकाबले यात्रियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।