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Har Ghar Tiranga: कारपोरेट जगत एकजुट, 25 करोड़ झंडे की होगी जरूरत लघु उद्यमियों के लिए कारोबार का बड़ा मौका

हर घर तिरंगा अभियान को सफल बनाने के लिए कारपोरेट जगत से लेकर एमएसएमई और छोटे व्यापारी एकजुट हो गए हैं। अभियान को सफल बनाने के लिए 25 करोड़ झंडे की जरूरत होगी। यह छोटे कारोबारियों के लिए किसी सुनहरे मौके से कम नहीं है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 24 Jul 2022 08:35 PM (IST)Updated: Sun, 24 Jul 2022 08:51 PM (IST)
Har Ghar Tiranga: कारपोरेट जगत एकजुट, 25 करोड़ झंडे की होगी जरूरत लघु उद्यमियों के लिए कारोबार का बड़ा मौका
हर घर तिरंगा अभियान को सफल बनाने के लिए कारपोरेट जगत से लेकर व्यापारी सभी एकजुट हो गए हैं।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हर घर तिरंगा अभियान को सफल बनाने के लिए कारपोरेट जगत से लेकर एमएसएमई व छोटे व्यापारी तक एकजुट हो गए हैं। इस अभियान को सफल बनाने के लिए 25 करोड़ झंडे की आवश्यकता होगी जबकि अभी देश में 4-5 करोड़ झंडे उपलब्ध होने का अनुमान है। इसलिए तिरंगा अभियान को छोटे एवं कुटीर उद्यमियों के लिए कारोबारी अवसर के रूप में भी देखा जा रहा है।

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अभियान को सफल बनाने पर मंथन 

आजादी के अमृत महोत्सव का जश्न एवं राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर हर घर तिरंगा अभियान 13-15 अगस्त तक चलाया जाएगा। इस संबंध में उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) की तरफ से बैठक बुलाई गई थी जिसमें हर घर तिरंगा अभियान को सफल बनाने पर गहन विचार-विमर्श किया गया।

तीन आकार के झंडे किए जा सकते हैं तैयार 

बैठक में संस्कृति मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे जिसमें यह तय किया गया कि हर घर तिरंगा अभियान के लिए मुख्य रूप से तीन आकार वाले झंडे को तैयार किया जा सकता है। एक आकार 20 गुने 30 (20 वर्टिकल तो 30 होरिजेनटल) का हो सकता है। दूसरा आकार 16 गुने 24 का हो सकता है तो तीसरा आकार छह गुने नौ का हो सकता है।

कारपोरेट जगत हुआ एकजुट 

कारपोरेट जगत अपने सभी कर्मचारियों को घर पर तिरंगा फहराने के लिए झंडे का वितरण करेंगे, वहीं थोक व्यापारी भी अपनी तरफ से देश भर की दुकानों के साथ लोगों को भी तिरंगा बांटने की तैयारी में जुट गए हैं। लेकिन झंडे की उपलब्धता को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।

मैन मेड पोलिस्टर से भी झंडा बनाने की इजाजत

डीपीआईआईटी की बैठक में शामिल होने वाले कनफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि देश भर के बाजार में झंडे के स्टाक की जानकारी लेने का काम जारी है और अधिकतम 4-5 करोड़ झंडे उपलब्ध होने का अनुमान है। इनमें खादी ग्रामोद्योग के पास उपलब्ध झंडे भी शामिल है। इस बार मैन मेड पोलिस्टर से भी झंडा बनाने की इजाजत दे दी गई है।

200 करोड़ रुपए का कारोबार संभव 

उन्होंने कहा कि एक झंडे को बनाने में 10-12 रुपए की लागत आ सकती है और झंडे के माध्यम से अगले 15 दिनों में 200 करोड़ रुपए का कारोबार हो सकता है। कारपोरेट जगत के मुताबिक झंडा वितरण अभियान को सामाजिक दायित्व से जोड़ देने पर उनके लिए मुफ्त झंडा वितरण आसान हो जाएगा। डीपीआईआईटी की तरफ से आयोजित बैठक में इस मुद्दे को उठाए जाने पर कारपोरेट मामले मंत्रालय से इस संबंध में स्पष्टीकरण लेने का आश्वासन दिया गया।  


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