GST चोरी रोकने के उपाय तलाशने को बनेगी समिति, केंद्र और राज्यों के अधिकारी होंगे शामिल
बैठक में आरबीआइ और एनपीसीएल के साथ विचार विमर्श के बाद जीएसटी सिस्टम में दी गई बैंकिंग जानकारी के आधार पर बैंकिंग ट्रांजैक्शन तक पहुंच बनाने की संभावना भी तलाशने पर सहमति बनी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जीएसटी चोरी और फर्जी रिफंड के दावों पर लगाम लगाने के उपायों की तलाश के लिए केंद्र और राज्यों के अधिकारियों की एक समिति गठित होगी। साथ ही सरकार रिस्की और नए निर्यातकों के आइजीएसटी रिफंड को उनके विदेशी मुद्रा की आमदनी से जोड़ने की संभावनाओं पर भी विचार कर रही है ताकि आइजीएसटी के फर्जी रिफंड के दावों पर नियंत्रण पाया जा सके। मंगलवार को रेवेन्यू सचिव अजय भूषण पांडे की अध्यक्षता में हुई दूसरी राष्ट्रीय जीएसटी कान्फ्रेंस में इन बातों पर सहमति बनी। कान्फ्रेंस में सेंट्रल टैक्स जोन, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीआइसी), सीबीडीटी के देश भर के सभी चीफ कमिश्नर, राज्यों के टैक्स कमिश्नरों और डायरेक्टर एफआइयू समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
बैठक टैक्स चोरी और रिफंड के फर्जी दावों को रोकने और जीएसटी रेवेन्यू की रफ्तार बढ़ाने के उपायों पर विचार के लिए बुलाई गयी थी। बैठक में सहमति बनी कि रिफंड के फर्जी दावों पर लगाम लगाने के उपाय और उन्हें तुरंत प्रभाव से लागू करने की संभावनाएं तलाशने के लिए केंद्र व राज्यों के अधिकारियों की एक समिति बने। समिति इनवर्टेड टैक्स स्ट्रक्चर में रिफंड के दावों और जीएसटी चोरी पर भी विचार करेगी। समिति एक सप्ताह में एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी जिसे जनवरी के अंत से पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त बैठक में इनपुट टैक्स क्रेडिट के झूठे दावों के प्रमुख मामलों, एक्सपोर्ट और इम्पोर्ट में होने वाले फ्रॉड और फर्जी दावों की अनिवार्य तौर पर इनकम टैक्स विभाग से जांच कराये जाने पर भी सहमति बनी।
सीबीआइसी, सीबीडीटी और जीएसटीएन में एक करार किया जाएगा जिसके तहत तीनों विभाग एक दूसरे के साथ अपना डेटा साझा करेंगे। तीनों विभाग अब तिमाही आधार पर डेटा साझा करेंगे। अभी तक यह काम सालाना आधार पर होता था। बैठक में आरबीआइ और एनपीसीएल के साथ विचार विमर्श के बाद जीएसटी सिस्टम में दी गई बैंकिंग जानकारी के आधार पर बैंकिंग ट्रांजैक्शन तक पहुंच बनाने की संभावना भी तलाशने पर सहमति बनी। इस बात की संभावना तलाशने पर विचार हुआ कि निर्यातकों के लिए विदेशी मुद्रा आमदनी प्राप्त करने और रिफंड वितरण के लिए क्या एक बैंक खाता रखना अनिवार्य किया जा सकता है?