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GST कंपनसेशन के मसले पर पेंच बरकरार, नहीं बन रही रजामंदी

सूत्रों के मुताबिक सरकार अब कह रही है कि राज्यों को हर हाल में जीएसटी कंपनसेशन का भुगतान किया जाएगा।

By NiteshEdited By: Published: Tue, 08 Sep 2020 09:53 PM (IST)Updated: Wed, 09 Sep 2020 08:15 AM (IST)
GST कंपनसेशन के मसले पर पेंच बरकरार, नहीं बन रही रजामंदी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जीएसटी कंपनसेशन को लेकर पेंच बरकरार है। राज्यों के बीच कोई आम सहमति बनती नजर नहीं आ रही है। वहीं, केंद्र भी कंपनसेशन को लेकर ठोस उपायों का खुलासा नहीं कर रहा है। गत 27 अगस्त को कंपनसेशन के मुद्दे पर जीएसटी काउंसिल की विशेष बैठक में राज्यों को कंपनसेशन के लिए दो विकल्प दिए गए थे। 

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राज्यों से कहा गया था कि वह एक सप्ताह के भीतर अपने विकल्प का चुनाव कर ले। इसके बाद अंतिम निर्णय के लिए जीएसटी काउंसिल की फिर से बैठक बुलाने की बात की गई थी। लेकिन सूत्रों के मुताबिक 10 राज्यों को दोनों में से कोई विकल्प मंजूर नहीं है। इनमें दिल्ली, पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तमिलनाडु, झारखंड, तेलंगाना, पुडुचेरी, केरल व पश्चिम बंगाल शामिल हैं। 

बिहार, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश व त्रिपुरा जैसे राज्यों को कंपनसेशन का पहला विकल्प मंजूर है तो सिक्किम और मणिपुर जैसे राज्यों को कंपनसेशन का दूसरा विकल्प मंजूर है। वहीं, जीएसटी काउंसिल की तरफ से कंपनसेशन के मसले पर अंतिम बैठक बुलाने की कोई तारीख नहीं दी गई है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक इस सप्ताह में ही यह बैठक बुलाई जा सकती है। वैसे, आगामी 19 सितंबर को जीएसटी काउंसिल की सामान्य बैठक पहले से तय है।

सरकार के पहले विकल्प में कहा गया था कि जीएसटी के अमल में प्रक्रियात्मक वजह से कंपनसेशन में होने वाली 97,000 करोड़ की कमी की पूर्ति बाजार से उधार लेकर की जा सकती है। यह पूरी रकम राज्यों के उधार खाते में नहीं मानी जाएगी और इसके मूल व ब्याज का भुगतान विलासिता और नुकसानदायक पदार्थो पर लगने वाले सेस की अवधि को बढ़ाकर किया जाएगा। दूसरे विकल्प में कहा गया था कि चालू वित्त वर्ष में कंपनसेशन के भुगतान में 2.35 लाख करोड़ की कमी आएगी और राज्य इस पूरी रकम के बराबर का उधार बाजार से ले सकते हैं। लेकिन इसका ब्याज राज्यों को खुद भुगतना होगा। 

सूत्रों के मुताबिक सरकार अब कह रही है कि राज्यों को हर हाल में जीएसटी कंपनसेशन का भुगतान किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक अब सरकार नए किस्म के बांड लाने पर विचार कर रही है जिसके तहत राज्यों को 97,000 करोड़ रुपए का भुगतान तत्काल कर दिया जाएगा और बाकी की रकम का भुगतान आपसी रजामंदी के साथ धीरे-धीरे किया जाएगा। 


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