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देश के टॉप 7 शहरों में घरों की बिक्री ने पकड़ी रफ्तार, अप्रैल-जून में 12% का आया उछाल

प्रॉपर्टी कंसल्टेंट कंपनी एनारॉक के अनुसार आम चुनावों के दौरान संभावित खरीदारों द्वारा इंतजार करो और देखों की नीति अपनाए जाने की वजह से घरों की बिक्री की ग्रोथ प्रभावित हुई है।

By Sajan ChauhanEdited By: Published: Wed, 10 Jul 2019 04:08 PM (IST)Updated: Fri, 12 Jul 2019 09:26 AM (IST)
देश के टॉप 7 शहरों में घरों की बिक्री ने पकड़ी रफ्तार, अप्रैल-जून में 12% का आया उछाल
देश के टॉप 7 शहरों में घरों की बिक्री ने पकड़ी रफ्तार, अप्रैल-जून में 12% का आया उछाल

नई दिल्‍ली, बिजनेस डेस्‍क। कैलेंडर वर्ष 2019 की दूसरी तिमाही यानी अप्रैल से जून के दौरान देश प्रमुख शहरों में घरों की बिक्री ने रफ्तार पकड़ी है। प्रॉपर्टी कंसल्टेंट कंपनी एनारॉक के अनुसार, आम चुनावों के दौरान संभावित खरीदारों द्वारा इंतजार करो और देखों की नीति अपनाए जाने की वजह से घरों की बिक्री की ग्रोथ प्रभावित हुई है।

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अंतरिम बजट में घोषित विभिन्न प्रोत्साहन के चलते साकारात्मक बाजार धारणा की वजह से 2019 की पहली तिमाही के दौरान बिक्री 58 फीसद बढ़कर 78,520 इकाई हो गई। डेटा के अनुसार, अप्रैल-जून 2019 के दौरान पिछले साल की इसी अवधि में 61,522 यूनिट से घरों की बिक्री बढ़कर 68,600 यूनिट हो गई। 4 शहरों में बिक्री बढ़ी, लेकिन 3 शहरों में गिरावट देखने को मिली।

मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन (MMR) ने अप्रैल-जून 2018 में 15,739 यूनिट्स के मुकाबले में 21,360 यूनिट्स की बिक्री के साथ 36 फीसद की अधिकतम डिमांड देखी। पुणे में 10,490 यूनिट्स के साथ घरों की बिक्री में 25 फीसद की ग्रोथ हुई, इसके बाद एनसीआर में 12,640 यूनिट के साथ 13 फीसद की ग्रोथ दर्ज की गई। समीक्षा के दौरान चेन्नई में 2,990 यूनिट्स के साथ 10 फीसद की ग्रोथ देखी गई।

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बिक्री में गिरावट वाले शहरों में कोलकाता अप्रैल-जून 2019 में 3,540 यूनिट के साथ 12 फीसद की गिरावट में सबसे आगे रहा, जो कि पिछले साल अप्रैल-जून में 4,030 यूनिट पर था। बेंगलुरु में 13,150 यूनिट के साथ घरों की बिक्री में 11 फीसद की गिरावट दर्ज की गई। हैदराबाद में घरों की बिक्री 7 फीसद घटकर 4,430 यूनिट रही। एनारॉक के प्रेसिडेंट अनुज पुरी ने कहा कि माना जा रहा था 2019 की दूसरी तिमाही में भारतीय रियल्टी बाजार कुछ हद तक आम चुनावों के दौरान प्रभावित हुआ था।

उन्होंने आगे कहा कि खरीदार वेट-एंड-वॉच मोड में थे, जबकि बिल्डरों ने इसे नए प्रोजेक्ट लॉन्च करने के बजाय अपने पिछले अनसोल्ड स्टॉक को साफ करने के लिए एक उपयुक्त समय के रूप में देखा। यह असामान्य या अप्रत्याशित नहीं था, चुनाव-अवधि के दौरान ऐसा होता है। पुरी ने कहा कि जीएसटी की मौजूदा दरें और इसके आसपास की अस्पष्टता कुछ हद तक खराब हुई है। उन्होंने कहा कि अप्रैल 2019 के बाद से शुरू की जाने वाली सभी नई परियोजनाओं को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के लाभ के 5 प्रतिशत की नई दर का पालन करने की आवश्यकता है। यह बिल्डरों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय था क्योंकि उससे उनके लाभ का मार्जिन कम होना था।


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