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कैशलेस के बजाय लेसकैश लेनदेन पर है सरकार का जोर

भारतीय परिस्थितियों में सरकार भी पूरी तरह कैशलेस ढांचा खड़ा करने को मान रही है चुनौती

By Surbhi JainEdited By: Published: Fri, 02 Dec 2016 09:51 AM (IST)Updated: Fri, 02 Dec 2016 09:55 AM (IST)

नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो): उपयुक्त ढांचे और जागरूकता के अभाव में कैशलेस यानी पूरी तरह नकदी रहित लेनदेन के कठिन लक्ष्य को देखते हुए सरकार फिलहाल ‘लेस कैश’ यानी सीमित नकदी लेनदेन की अवधारणा को स्थापित करने में जुट गई है। जब तक दूर-दराज के गांवों तक इंटरनेट की व्यवस्था सुदृढ़ नहीं होती है, लोगों को यह समझाने की कोशिश होगी कि वे बहुत जरूरी होने पर ही कैश में लेनदेन करें।

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सरकार जमीनी हकीकत से रूबरू होने लगी है। उसी लिहाज से शब्दावली में भी बदलाव किया गया है। अब कैशलेस की जगह लेसकैश के सिद्धांत पर जोर होगा। दरअसल, पिछले दिनों में जिस तरह की रिपोर्टे आ रही है उससे यह महसूस होने लगा है कि डिजिटल इंडिया का ख्वाब पूरा हुए बिना कैशलेस अर्थतंत्र की ओर बढ़ना संभव नहीं है। कुछ स्तरों पर राजनीतिक रूप से भी कैश से लेनदेन पर पूरा प्रतिबंध खतरनाक हो सकता है। सरकार ने मुख्यमंत्रियों की जो समिति बनाई है, उससे एक साल का रोडमैप मांगा गया है। पर यह माना जा रहा है कि भारतीय परिस्थिति में कोई भी सुदृढ़ तंत्र स्थापित होने में लंबा वक्त लगेगा। खासकर छोटे स्तरों पर कैशलेस लेनदेन रास नहीं आ रहा है। ऐसे में सरकार बोलचाल में भी यह संकेत देने से बचना चाहती है कि वह पूरी तरह नकदी रहित लेनदेन करने जा रही है।


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