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खाद्य सुरक्षा मिशन में तिलहन फसलों पर होगा जोर, जानिए क्या है पूरी योजना

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) में खाद्यान्न उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने के साथ फसलों की कटाई के बाद होने वाला नुकसान रोकने को भी शामिल किया गया है। पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट के तहत प्राइमरी प्रोसेसिंग गांव स्तर पर छोटे गोदाम बनाने और स्थानीय जरूरतों पर जोर दिया जाएगा।

By Ankit KumarEdited By: Published: Wed, 24 Feb 2021 10:55 AM (IST)Updated: Wed, 24 Feb 2021 10:55 AM (IST)
खाद्य सुरक्षा मिशन में तिलहन फसलों पर होगा जोर, जानिए क्या है पूरी योजना
मिशन के तहत वित्त वर्ष 2014-15 से लेकर 2019-20 के दौरान उत्पादन के साथ उत्पादकता में बंपर वृद्धि हुई है।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) में खाद्यान्न उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने के साथ फसलों की कटाई के बाद होने वाला नुकसान रोकने को भी शामिल किया गया है। पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट के तहत प्राइमरी प्रोसेसिंग, गांव स्तर पर छोटे गोदाम बनाने और स्थानीय जरूरतों पर जोर दिया जाएगा। इस मिशन में दलहनी व तिलहनी फसलों की उत्पादकता पर विशेष बल दिया जाएगा। इसके लिए उन्नत बीज उपलब्ध कराने की योजना है। एनएफएसएम के तहत खेत की मिट्टी, बीज, सिंचाई और पोस्ट हार्वेस्टिंग मैनेजमेंट को प्राथमिकता दी जा रही है।

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मिशन के तहत वित्त वर्ष 2014-15 से लेकर 2019-20 के दौरान उत्पादन के साथ उत्पादकता में बंपर वृद्धि हुई है। इस अवधि में दलहन की पैदावार 1.72 करोड़ टन से बढ़कर 2.32 करोड़ टन पहुंच गई। इससे दालों की आयात निर्भरता नगण्य रह गई है। इसी तरह कुल पैदावार 25.20 करोड़ टन से बढ़कर 29.67 करोड़ टन हो गई है। उत्पादकता के स्तर पर शानदार वृद्धि दर्ज की गई। खाद्यान्न पैदावार 2,028 किलोग्राम से बढ़कर 2,325 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई है। 

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले पांच वर्षो के दौरान चुनिंदा जिलों के किसानों को उन्नत प्रजाति के मोटे अनाज, दलहनी फसलों के 16 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज किसानों को वितरित किए गए। जबकि धान व गेहूं के 74 लाख क्विंटल हाइब्रिड प्रजाति और उच्च उत्पादकता वाले बीज बांटे गए हैं। इससे पुराने बीजों को बदलने में पर्याप्त मदद मिली है। बीजों का वितरण मुफ्त और किसानों के घर पहुंचाकर किया गया। 

एनएफएसएम का लक्ष्य हासिल करने के लिए 'हर खेत को पानी' पहुंचाने और 'पर ड्रॉप मोर क्रॉप' के तहत 2.75 लाख ट्यूबवेल लगाए गए। जबकि छिड़काव करने वाले 1.27 लाख मशीन और 7.64 करोड़ मीटर वाटर पाइप किसानों को बांटे गए हैं। मिशन की ऐसी पहल का नतीजा आने वाले वर्षो में दिखेगा। मिशन की सफलता के लिए 1.10 करोड़ हेक्टेयर जमीन की मिट्टी जांची गई। इसके साथ ही उन जमीनों के लिए माइक्रो न्यूट्रिएंट्स, बायो फर्टिलाइजर, जिप्सम और लाइम वितरित किए गए।

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