नोटबंदी से अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर को ऐसे कम करेगी मोदी सरकार
नोटबंदी के असर से सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए सरकार भारी मात्रा में सरकारी खर्च बढ़ाने का रास्ता अख्तियार कर रही है
नई दिल्ली: नोटबंदी के असर से सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए सरकार भारी मात्रा में सरकारी खर्च बढ़ाने का रास्ता अख्तियार कर रही है। बीते हफ्ते सरकार ने अर्थव्यस्था को ईधन देने के लिए भारी मात्रा में सरकारी निवेश को मंजूरी दी है। गौरतलब है कि कालेधन और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए सरकार की ओर से लिए गए नोटबंदी के फैसले के बाद तमाम रेटिंग एजेंसियां जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार सुस्त पड़ने की आशंका जता रही हैं।
ब्लूमबर्ग की एक खबर के मुताबिक बीते हफ्ते सरकार ने अगले साल मार्च महीने तक 600 बिलियन रुपए के अतिरिक्त खर्चे को मंजूरी दी है, जिसमें 10 फीसदी का अतिरिक्त खर्च ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार सृजन की एक योजना से जुड़ा हुआ है। अर्थव्यवस्था में वृद्धि अनुमान से कम है और मगंलवार को आने वाले आंकड़ों में महंगाई दर के केंद्रीय बैंक के लक्ष्य के नीचे रहने की संभावना है। ऐसे में अर्थव्यस्था में डिमांड को बूस्ट करने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। नोटबंदी के बाद तमाम सेक्टर्स से मांग में कमी की खबरें आ रही हैं ऐसे में अर्थव्यवस्था में मांग को बनाए रखने के उद्देश्य से सरकार भारी मात्रा में निवेश कर रही है।
सरकार ने क्यों बढ़ाया निवेश:
सरकार की तरफ से निवेश की मंजूरी इसलिए जरूरी थी क्योंकि कैश-बैन के कारण निजी निवेश को काफी धक्का लगा है। यह बात मुंबई स्थित एक ईपीडब्ल्यू रिसर्च फाउंडेशन के निदेशक जे डेनिस राजाकुमार ने कही है। रोजगार गारंटी योजना ग्रामीण क्षेत्र की समस्या को कम करने की कोशिश करेगी, जिसकी तरफ देश आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले (8 नवंबर) के बाद खाने-पीने की चीजों में कमी देखने को मिली है जिस वजह से किसानों की फसल की बिकवाली में भी काफी दिक्कतें आएंगी, क्योंकि बाजार में प्रचलित 86 फीसदी नकदी अचानक रातोंरात बैन कर दी गई थी।