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ONGC के ऑयल फील्ड्स को बेचने की सिफारिश, विरोध के बाद ठंडे बस्ते में प्रस्ताव : रिपोर्ट

मुंबई हाई हीरा डी 1 वसई ईस्ट पन्ना असम में मौजूद ग्रेटर जोराजन और गिलेकी फील्ड्स राजस्थान के बाघेवाला और गुजरात के कल्लोल ऑयल फील्ड्स को निजी या विदेशी कंपनियों को हस्तांतरित किए जाने का सुझाव दिया गया था।

By Abhishek ParasharEdited By: Published: Thu, 14 Mar 2019 03:30 PM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2019 08:06 AM (IST)
ONGC के ऑयल फील्ड्स को बेचने की सिफारिश, विरोध के बाद ठंडे बस्ते में प्रस्ताव : रिपोर्ट
ONGC के ऑयल फील्ड्स को बेचने की सिफारिश, विरोध के बाद ठंडे बस्ते में प्रस्ताव : रिपोर्ट

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क/एजेंसी)। ऑयल एंड नैचुरल गैस कंपनी (ONGC) की नौ बड़ी ऑयल एंड गैस फील्ड्स को निजी और विदेशी कंपनियों को बेचे जाने की योजना खटाई में पड़ गई है। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि सरकार के भीतर ही इस प्रस्ताव का भारी विरोध हुआ, जिसके बाद इसे टालना पड़ा है।

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सूत्रों के मुताबिक नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार की अध्यक्षता में गठित समिति ने पिछले साल मुंबई की मुंबई हाई, हीरा, डी 1, वसई ईस्ट, पन्ना, असम में मौजूद ग्रेटर जोराजन और गिलेकी फील्ड्स, राजस्थान के बाघेवाला और गुजरात के कल्लोल ऑयल फील्ड्स को निजी या विदेशी कंपनियों को ''हस्तांतरित'' किए जाने का सुझाव दिया था।

सूत्रों के मुताबिक ओएनजीसी के साथ सरकार के भीतर से इस प्रस्ताव का पुरजोर विरोध हुआ। इन सभी ऑयल एंड गैस फील्ड्स से भारत की तेल और गैस जरूरतों का 95 फीसदा हिस्सा पूरा होता है।

इन 9 क्षेत्रों के अलावा 149 ऑयल एंड गैस फील्डस को एक साथ जोड़कर उसकी नीलामी की जाएगी।

ओएनजीसी ने यह कहते हुए इन ऑयल एंड गैस फील्ड्स को बेचे जाने का विरोध किया कि इन्हें खोजने और उत्पादन योग्य बनाने में उसे पिछले चार दशकों के दौरान अरबों डॉलर खर्च करने पड़े हैं।

गौरतलब है कि निजी और विदेशी कंपनियां नए तेल और गैस ब्लॉक खोजने की बजाए ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड में हिस्सेदारी लिए जाने के लिए लॉबीइंग कर रही हैं। उनका कहना है कि वह नई पूंजी और प्रौद्योगिकी की मदद से इन क्षेत्रों से उत्पादन बढ़ा सकते हैं।

हाल ही में सरकार ने तेल एवं गैस खोज क्षेत्र में निजी और विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए इससे जुड़ी नीति में अहम बदलाव किए हैं।

नई नीति के तहत सरकार नए एवं कम खोजे गए क्षेत्रों में हाइड्रोकार्बन उत्पादन पर संबंधित कंपनी से लाभ में हिस्सा नहीं मांगेगी। हर तरह के बेसिन के लिए एक समान अनुबंध वाली दो दशक पुरानी नीति में बदलाव करते हुए नई नीति में अलग-अलग क्षेत्रों के लिए अलग-अलग नियम बनाए गए हैं। इसके तहत पहले से उत्पादन वाले क्षेत्रों और नए क्षेत्रों के लिए नियम अलग-अलग रहेंगे।

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