IOC में भी हिस्सेदारी बेचेगी सरकार, अगले हफ्ते फैसला संभव
केंद्र सरकार की सीधी हिस्सेदारी 51.5 फीसद है जबकि सरकारी क्षेत्र की कंपनियां जैसे एलआइसी ओएनजीसी आयल इंडिया के पास 25.9 फीसद हिस्सेदारी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने पिछले हफ्ते यह साफ कर दिया था कि सरकार की मंशा अब पेट्रोलियम सेक्टर से बाहर जाने की है। अब सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह पेट्रोलियम सेक्टर की बड़ी ही महत्वपूर्ण कंपनी इंडियन आयल कार्पोरेशन में अपनी हिस्सेदारी भी 51 फीसद से घटाने पर विचार कर रही है। यानी सरकार इस कंपनी में सबसे बड़ी हिस्सेदार नहीं रहना चाहती। जबकि भारत पेट्रोलियम (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम (एचपीसीएल) से सरकार या सरकार समर्थित कंपनी पहले ही अपनी बड़ी हिस्सेदारी बेचने की घोषणा कर चुकी है। अगर उक्त योजना काम कर गई तो चालू वित्त वर्ष के भीतर ही देश की तीनों सबसे बड़ी पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनियों में सरका की हिस्सेदारी बहुत कम हो जाएगी।
केंद्र सरकार जिस तरह से एक के बाद एक सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों को विनिवेश बाजार में ला रही है उससे ऐसा लगता है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान विनिवेश लक्ष्य हासिल करने में इनकी अहम भूमिका होगी। यह भी माना जाता है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान अभी तक राजस्व संग्रह की बेहद कमजोर स्थिति को देखते हुए ही सरकार को अपनी सबसे ज्यादा लाभ अर्जित करने वाली कंपनियों में विनिवेशका फैसला करना पड़ रहा है। पेट्रोलियम मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक देश की सबसे बड़ी सरकारी रिफाइनरी कंपनी आइओसी में केंद्र की हिस्सेदारी 51 फीसद से भी नीचे लाने का प्रस्ताव अगले हफ्ते कैबिनेट के सामने पेश होगा। अभी इस कंपनी में केंद्र सरकार की सीधी हिस्सेदारी 51.5 फीसद है जबकि सरकारी क्षेत्र की कंपनियां जैसे एलआइसी, ओएनजीसी, आयल इंडिया के पास 25.9 फीसद हिस्सेदारी है।
केंद्र आइओसी में अपनी हिस्सेदारी 51 फीसद से नीचे ला कर ही इस कंपनी पर परोक्ष तौर पर अपना नियंत्रण बनाये रखा सकता है।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई, 2019 में पेश बजट में कहा था कि सरकार बड़ी कंपनियों में तेजी से विनिवेश कार्यक्रम लागू करेगी। चालू वर्ष के लिए सरकारी कंपनियों में इक्विटी बेच कर 1.05 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है।
हाल ही में सरकारी क्षेत्र की एक दूसरी पेट्रोलियम कंपनी भारत पेट्रोलियम (बीपीसीएल) के विनिवेश का फैसला किया गया। सरकार की तरफ से यह संकेत भी दिया गया कि अगर सही खरीददार मिल जाए तो वह बीपीसीएल में अपनी पूरी की पूरी 53 फीसद हिस्सेदारी बेच सकती है। जबकि एक दूसरी पेट्रोलियम कंपनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम (एचपीसीएल) में ओएनजीसी भी अपनी बड़ी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में है।
ओएनजीसी ने पिछले वर्ष ही एचपीसीएल में केंद्र की पूरी 51.11 फीसद हिस्सेदारी 36,915 करोड़ रुपये में खरीद ली थी। लेकिन अब कंपनी का कहना है कि इससे उसका कोई फायदा नहीं हुआ है लिहाजा वह अपनी हिस्सेदारी भी किसी दूसरी कंपनी को बेचना चाहती है। सरकार भी कह चुकी है कि इससे उसे कोई ऐतराज नहीं है।