मत्स्य पालन के बुनियादी ढांचे के लिए 7500 करोड़ को मंजूरी
मत्स्य पालन क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के विकास पर 7,500 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि खर्च की जाएगी
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। कृषि क्षेत्र में नए रोजगार के लिए मत्स्य पालन क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के विकास पर 7,500 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि खर्च की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने हुई बैठक में एफआइडीएफ को मंजूरी दे दी गई। इस फैसले से वर्ष 2022-23 तक सालाना दो करोड़ टन मछली का उत्पादन का लक्ष्य हासिल हो जाएगा। इससे 9.4 लाख नए रोजगार सृजित होंगे। देश में फिलहाल सालाना 1.2 करोड़ टन मछली का उत्पादन होता है।
फीसरीज एंड एक्वाकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (एफआइडीएफ) के लिए 7,522 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस फंड के उपयोग से मत्स्य पालन क्षेत्र का तेजी से विकास होगा। इस फंड में 5,266 करोड़ रुपये रियायती कर्ज से मिलेंगे, जबकि 1,316 करोड़ रुपये का निवेश लाभार्थी खुद करेंगे।
फंड के लिए रियायती कर्ज नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड), नेशनल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन और अन्य अनुसूचित बैंकों से मिलेंगे। मत्स्य पालन के लिए गठित इस फंड से राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों, सहकारी संगठनों व व्यक्तिगत उद्यमी को रियायती कर्ज मुहैया कराया जाएगा। इस मद के लिए 2018-19 से लेकर 2022-23 तक ऋण प्राप्त किया जा सकता है। इसकी अदायगी अगले 12 वर्षो में की जा सकती है। इसके तहत कर्ज पर दो वर्षो तक कोई ब्याज नहीं लगेगा और वसूली की भी बाध्यता नहीं होगी। मत्स्य पालन के लिए गठित फंड का उपयोग समुद्री मछली पालन से लेकर देश के अंदरूनी हिस्से में मछली पालन में किया जा सकेगा। इसका उद्देश्य वर्ष 2020 तक 1.5 करोड़ टन मछली का उत्पादन करना और नीली क्रांति को नई ऊंचाइयों तक ले जाना है। सरकार मछली उत्पादन को बढ़ाकर आठ से नौ फीसद तक पहुंचाना चाहती है।प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट समिति ने वित्तीय तकनीकी क्षेत्र पर संयुक्त कार्यदल (जेडब्ल्यूजी) के गठन को मंजूरी दे दी है। इसके तहत दोनों देश वित्तीय तकनीकों पर नीतियों और नियमों पर अनुभव साझा करने के लिए नियामक संबंधी संपर्क बढ़ाएंगे। जेडब्ल्यूजी इस सेक्टर में दोनों देशों में उद्यमिता और स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के उपाय भी सुझाएगा।
आइआइएस को मंजूरी
कैबिनेट ने देशभर में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर भारतीय कौशल संस्थान (आइआइएस) की स्थापना के लिए एक योजना को मंजूरी दे दी। इसके तहत विभिन्न जगहों पर कौशल की मांग और जरूरी बुनियादी ढांचे की उपलब्धता के आधार पर आइआइएस की स्थापना की जाएगी। इस मंजूरी से युवाओं को बेहद उच्च स्तर का कौशल प्रशिक्षण मिल सकेगा।
वित्तीय तकनीकी क्षेत्र के लिए सिंगापुर से करार
श्रम, सामाजिक सुरक्षा के लिए ब्रिक्स देशों से गठजोड़ 1 कैबिनेट समिति ने ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) में श्रम और सामाजिक सुधार क्षेत्र के लिए हुए करार को अनुमोदन दे दिया। इसके तहत नई औद्योगिक क्रांति में समावेशी विकास का साझा उद्देश्य और संपन्नता हासिल करने के लिए ब्रिक्स देश आपसी सहयोग का एक तंत्र विकसित करेंगे।