RCEP समेत विदेश व्यापार समझौतों में किसानों के हितों की रक्षा करेगी सरकार
डेयरी इंडस्ट्री ने अधिकारियों के साथ हुई बैठक में आरसीईपी होने के बाद आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से डेयरी प्रोडक्ट के भारी मात्र में आयात होने की आशंका जताई।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। सरकार ने डेयरी इंडस्ट्री को भरोसा दिया है कि वह विदेश व्यापार समझौतों, खासकर रीजनल कांप्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) में किसानों के हितों के साथ कोई समझौता नहीं करेगी। आसियान के 10 सदस्यों समेत 16 देशों के साथ प्रस्तावित इस समझौते की बातचीत में सरकार इस बात का पूरा ध्यान रखेगी। एनडीडीबी समेत डेयरी इंडस्ट्री के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ हुई बैठक में वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों ने आश्वस्त किया कि किसानों को नुकसान नहीं होने दिया जाएगा।
डेयरी इंडस्ट्री ने अधिकारियों के साथ हुई बैठक में आरसीईपी होने के बाद आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से डेयरी प्रोडक्ट के भारी मात्र में आयात होने की आशंका जताई। दूध व डेयरी उत्पादों के मामले में न्यूजीलैंड दुनिया का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है। डेयरी उद्योग से जुड़ी कंपनियों का कहना है कि आयातित उत्पादों की कीमत घरेलू बाजार से बहुत कम होने की वजह से यहां आयातित उत्पादों की भरमार हो जाएगी और कीमतें कम हो जाएंगी। इससे किसानों को मिलने वाली दूध की कीमत में कमी आ सकती है।
बैठक के बाद अमूल ब्रांड की मार्केटिंग करने वाली गुजरात मिल्क एंड मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीसीएफ) के एमडी आरएस सोढी ने कहा न्यूजीलैंड समेत अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्किम्ड मिल्क पाउडर 160 से 180 रुपये प्रति किलो पर उपलब्ध है। जबकि घरेलू बाजार में इसकी कीमत 280-290 रुपये किलो है। समझौते के बाद डेयरी आयात को छूट मिलने पर देश में इसकी कीमत घट जाएगी जिससे डेयरी उद्योग के लिए किसानों को दूध का मौजूदा दाम देना मुश्किल हो जाएगा।
सोढी ने कहा कि न्यूजीलैंड के किसानों की पशुपालन लागत भारतीय किसानों के मुकाबले काफी कम है। उनकी चारे पर आने वाली लागत नहीं के बराबर है क्योंकि वहां किसान के पास बड़े चारागाह उपलब्ध हैं। जबकि भारत में चारे की कीमत पिछले पांच छह महीने में ही 15 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 22 रुपये प्रति किलो हो चुकी है। इसकी वजह से डेयरी इंडस्ट्री के लिए दूध की प्रति किलो लागत 24-25 रुपये किलो हो गई है। जबकि उसका खरीद मूल्य 31 रुपये प्रति किलो है।
भारतीय डेयरी इंडस्ट्री दूध के लिए किसानों पर ही निर्भर है। वाणिज्य मंत्रलय के सूत्रों ने बताया कि इस बैठक से पूर्व एनडीडीबी के चेयरमैन दिलीप रथ ने वाणिज्य सचिव को एक पत्र लिखकर भी शुल्क घटाने की स्थिति में मिल्क पाउडर का आयात बढ़ जाने की आशंका जताई थी। स्किम्ड मिल्क पाउडर के आयात पर मौजूदा ड्यूटी 68 परसेंट से कुछ अधिक है।
वाणिज्य मंत्रलय के अधिकारियों का मानना है कि सरकार के पास आयात को सीमित रखने के और भी कई उपाय हैं जिनमें एंटी डंपिंग ड्यूटी शामिल है। जरूरत से अधिक आयात होने पर सरकार इन प्रावधानों का इस्तेमाल कर किसी भी प्रोडक्ट के आयात को नियंत्रित कर सकती है।