फिलहाल और उधारी नहीं लेगी सरकार, चालू वित्त वर्ष के दौरान 12 लाख करोड़ की उधारी का है लक्ष्य
राजस्व के मोर्चे पर बेहद चुनौतीपूर्ण हालात के बावजूद वित्त मंत्रालय ने कहा है कि वह चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक ही उधारी लेगी। यानी अक्टूबर-मार्च 2020-21 में 4.34 लाख करोड़ रुपये की उधारी ली जाएगी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राजस्व के मोर्चे पर बेहद चुनौतीपूर्ण हालात के बावजूद वित्त मंत्रालय ने कहा है कि वह चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक ही उधारी लेगी। यानी अक्टूबर-मार्च, 2020-21 में 4.34 लाख करोड़ रुपये की उधारी ली जाएगी। पहली छमाही यानी अप्रैल-अक्टूबर में केंद्र सरकार 7.66 लाख करोड़ रुपये की उधारी ले चुकी है। आर्थिक मामलों के सचिव तरूण बजाज ने बुधवार को इस बारे में घोषणा की।
हालांकि, उन्होंने इस बात के संकेत निश्चित तौर पर दिए कि राज्यों को और प्राइवेट सेक्टर को तीसरी और चौथी तिमाही में बाजार से ज्यादा उधारी लेनी पड़ सकती है। बहरहाल, केंद्र की तरफ से ज्यादा उधारी नहीं लेने के इस ऐलान के बावजूद यह तय नहीं है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे की स्थिति क्या होगी। बजाज ने वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में अगले छह महीने के उधारी कार्यक्रम का लेखा-जोखा पेश किया। सरकार के उधारी कार्यक्रम का कैलेंडर आरबीआइ ने भी जारी किया है। 16 हफ्तों तक हर हफ्ते 27-28 हजार करोड़ रुपये बांड्स जारी कर जुटाये जाएंगे। इनकी परिपक्वता अविध दो वर्ष से लेकर 40 वर्षों तक की होगी।
पहली तिमाही में आर्थिक विकास दर में 24 फीसद की गिरावट को देखते हुए यह माना जा रहा था कि सरकार और ज्यादा उधारी ले सकती है। बजाज ने बताया कि चालू वित्त वर्ष के दौरान विनिवेश कार्यक्रम से 2.1 लाख करोड़ रुपये जुटाना भी मुश्किल है। ऐसे में सरकार नया विनिवेश लक्ष्य घोषित कर सकती है। जब यह पूछा गया कि क्या आगे और वित्तीय प्रोत्साहन देने के लिए उधारी ली जा सकती है तो बजाज का जवाब था कि मौजूदा उधारी कार्यक्रम में इस संभावना को शामिल किया गया है। साफ है कि सरकार की तरफ से उधारी और लेने की कोई योजना नहीं है।
इसके पहले भी राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के मामले में वित्त मंत्रालय ने कहा था कि वह अपने स्तर पर और ज्यादा उधारी नहीं ले सकती। और ज्यादा कर्ज लेने पर देश की रेटिंग बिगड़ने की नौबत आ सकती है। वैसे तो यह आम बजट 202-21 में उधारी का तय लक्ष्य 7.1 लाख करोड़ रुपये का और राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.5 फीसद का था। कोविड की वजह से राजस्व संग्रह की स्थिति को देखते हुए मई, 2020 में इसे बढ़ा कर 12 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया था।
बहरहाल, इकरा रेटिंग एजेंसी की प्रिंसिपल इकोनोमिस्ट अदिति नैयर ने कहा है कि, ऐसा लगता है कि सरकार दूसरी तिमाही में उधारी कार्यक्रम को जानबूझ कर दबाने की कोशिश कर रही है। तीसरी तिमाही में सरकार को अपनी सोच से काफी ज्यादा उधारी लेनी पड़ सकती है।