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स्टील सेक्टर पर श्वेत पत्र लाएगी सरकार, टैक्स का बोझ कम करने और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की होगी कोशिश

एक अनुमान के मुताबिक हमारे यहां एक टन स्टील के उत्पादन में 450 अमेरिकी डॉलर करीब 31500 रुपये का खर्च आता है। जबकि चीन में इतने ही स्टील के उत्पादन में सिर्फ 350 डॉलर खर्च होते है

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Tue, 24 Dec 2019 09:11 AM (IST)Updated: Tue, 24 Dec 2019 09:13 AM (IST)
स्टील सेक्टर पर श्वेत पत्र लाएगी सरकार, टैक्स का बोझ कम करने और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की होगी कोशिश
स्टील सेक्टर पर श्वेत पत्र लाएगी सरकार, टैक्स का बोझ कम करने और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की होगी कोशिश

नई दिल्ली, पीटीआइ। केंद्र सरकार स्टील सेक्टर पर श्वेत पत्र लाने की तैयारी में है। इसका मकसद स्टील सेक्टर पर टैक्स बोझ कम करना और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है। केंद्रीय मंत्री धमेंद्र प्रधान ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि यह कार्य तीन से चार महीने में पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि वह स्टील मंत्रालय की ओर से नीति आयोग को यह जिम्मेदारी सौंपेंगे और उससे आग्रह करेंगे कि वह सरकार के अलग-अलग विभागों से विचार-विमर्श कर स्टील सेक्टर को प्रतिस्पर्धी बनाने के उपाय सुझाए।

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हाल ही में केंद्र सरकार की एक पैनल चर्चा में स्टील सेक्टर को शामिल किया गया था। ‘पांच लाख करोड़ डॉलर इकोनॉमी लक्ष्य के लिए रोडमैप’ विषय वाली चर्चा में स्टील सेक्टर की समस्याओं को रेखांकित करने का प्रयास किया गया था। इस दौरान कहा गया था कि देश में स्टील उत्पादन की लागत बहुत अधिक है। इसकी प्रमुख वजह इस सेक्टर पर लगने वाले टैक्स को बताया गया था।

स्टील उत्पादन में प्रयोग होने वाले कच्चे माल पर करीब 20 परसेंट रॉयल्टी देनी होती है। भाड़े पर आने वाला खर्च भी अन्य देशों के मुकाबले अधिक है। उत्पादन कार्य में प्रयोग होने वाली बिजली की लागत से भी सेक्टर का बोझ बढ़ता है। एक अनुमान के मुताबिक हमारे यहां एक टन स्टील के उत्पादन में 450 अमेरिकी डॉलर (करीब 31,500 रुपये) का खर्च आता है। जबकि चीन में इतने ही स्टील के उत्पादन में सिर्फ 350 डॉलर खर्च होते हैं। इसकी वजह चीन में स्टील सेक्टर पर लगने वाला कम टैक्स और अन्य लाभ हैं।

सरकार इस सेक्टर की समस्याओं से निपटने के लिए चौतरफा उपाय तलाशने में लगी हुई है। प्रधान ने बताया कि सेक्टर को राहत देने के लिए हम बिजली एक्ट में संशोधन की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्टील उत्पादन में कच्चा माल बाधा नहीं बने इसके लिए अगले वर्ष मार्च तक पर्याप्त खदानों की नीलामी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

नई तकनीक का विकास करें सेक्टर

सरकार ने स्टील सेक्टर से नई और उन्नत तकनीक अपनाने का आग्रह किया है। वर्तमान में हमारे यहां ब्लास्ट ऑक्सीजन फर्नेस (बीओएफ) और इलेक्टिक ऑर्क फर्नेस (ईएएफ) तकनीक के जरिये स्टील का उत्पादन किया जाता है। इसके विपरीत कुछ देशों में गैस-आधारित प्लांट हैं, जो स्टील उत्पादन की उन्नत तकनीक है। धर्मेद्र प्रधान ने स्टील उद्योग से आग्रह किया कि वे घरेलू स्तर पर उन्नत तकनीक विकसित करने पर जोर दें और एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करें। उन्होंने कहा कि हम उच्च गुणवत्ता की स्टील एक्सपोर्ट करते हैं, लेकिन इसकी गुणवत्ता में अभी और सुधार की गुंजाइश है।


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