MSME के लिए हो 25,000 करोड़ के COVID-19 संकट फंड का गठन: पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स
पीएचडी चैंबर ने अपनी रिपोर्ट में सरकार को यह भी सुझाव दिया कि अगले 6 महीनों यानी 30 सितंबर 2020 तक कोई एनपीए घोषित नहीं किया जाना चाहिए।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने देशव्यापी लॉकडाउन के चलते उद्योग और कारोबार को व्यापक राहत देने की मांग की है। चैंबर की और से रिकेमेंडेशन ऑन ट्रेड, इंडस्ट्री एंड इकोनॉमी टू द गर्वमेंट नाम से एक रिपोर्ट भी जारी की गई है। इस रिपोर्ट के माध्यम से चैंबर ने सरकार को कई सुझाव दिए हैं, ताकि देश में उद्योग और कारोबार को व्यापक राहत प्रदान की जा सके। चैंबर ने रिपोर्ट में ब्याज दरों में कमी और ब्याज से छूट देने की भी बात कही है।
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रेसिडेंट डी.के.अग्रवाल ने रिपोर्ट में कहा कि सरकार को एमएसएमई के लिए 25,000 करोड़ रूपए का महामारी कोविड-19 डिस्ट्रेस फंड का गठन करना चाहिए जो कि उन यूनिट्स को मदद करे, जो इस लॉकडाउन के कारण बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं।
चैंबर का सुझाव है कि एमएसएमई को सरकारी विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों से बकाया भुगतान 7 दिनों के अंदर ही जारी करने पर विचार करना चाहिए और उन्हें किसी भी बिल के बकाया भुगतान के संबंध में अनुपालन रिपोर्ट देने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए। चैंबर का कहना है कि सरकार द्वारा संबंधित मंत्रालयों को इस संबंध में निर्देश जारी किये जाने चाहिए।
चैंबर ने रिपोर्ट में कहा है कि चुनिंदा अर्थव्यवस्थाओं की ब्याज दरों की तुलना करें तो भारत की ब्याज दर काफी अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया कि संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, इटली, स्पेन जैसी अर्थव्यवस्थाओं में ब्याज दर वर्तमान में शून्य या शून्य के आसपास है।
चैंबर ने अपनी रिपोर्ट में सरकार को यह भी सुझाव दिया कि अगले 6 महीनों यानी 30 सितंबर 2020 तक कोई एनपीए घोषित नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया कि यात्रा और पर्यटन, उड्डयन, चमड़ा, वस्त्र, होटल-रेस्टोरेंट, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे गंभीर रूप से प्रभावित उद्योगों को 2 प्रतिशत का ब्याज सबवेंशन दिया जाना चाहिए। साथ ही चैंबर ने एमएसएमई के लिए 3 फीसद ब्याज सबवेंशन देने का सुझाव दिया।