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सरकार ने कहा,शिकायत मिली तो कॉरपोरेट गवर्नेस की हो सकती है जांच

शपूरजी पलोनजी इस मामले में कंपनी कानून के तहत माइनॉरिटी शेयरधारकों के हितों को लेकर कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय में शिकायत कर सकते हैं।

By Atul GuptaEdited By: Published: Fri, 28 Oct 2016 09:18 PM (IST)Updated: Fri, 28 Oct 2016 09:31 PM (IST)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाने की प्रक्रिया के विरोध में शपूरजी पलोनजी के पास माइनॉरिटी शेयरधारकों के हितों को लेकर मामला दर्ज कराने का विकल्प खुला है। लेकिन सरकार ने तय कर लिया है कि शिकायत मिलने पर ही इस संबंध में कोई जांच शुरू की जाएगी।

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शपूरजी पलोनजी इस मामले में कंपनी कानून के तहत माइनॉरिटी शेयरधारकों (कम हिस्सेदारी वाले) के हितों को लेकर कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय में शिकायत कर सकते हैं। कंपनी कानून के जानकारों का मानना है कि कॉरपोरेट गवर्नेस के नियमों के उल्लंघन को लेकर भी इस मामले में जांच हो सकती है। लेकिन कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय का मानना है कि जब तक पीडि़त पक्ष आधिकारिक तौर पर शिकायत नहीं करता, सरकार खुद से जांच शुरू नहीं करेगी। अलबत्ता अधिकारी मानते हैं कि कॉरपोरेट गवर्नेस के नियमों के उल्लंघन को लेकर शिकायत मिलने पर जांच की जा सकती है।

कंपनी कानून के जानकार और कॉरपोरेट प्रोफेशनल के संस्थापक पवन विजय का मानना है कि कंपनी कानून की धारा 241 के तहत प्रबंधन में बड़ा बदलाव होने या कंपनी पर नियंत्रण बदलने की स्थिति में ट्रिब्यूनल में शिकायत की जा सकती है। इसलिए शपूरजी पलोनजी अगर इस धारा के तहत शिकायत करते हैं तो उन्हें साबित करना होगा कि यह बदलाव कंपनी के हितों के खिलाफ होगा।

साइरस मिस्त्री की बर्खास्तगी का सवाल दरअसल उन्हें हटाने की पूरी प्रक्रिया के इर्द-गिर्द सिमट गया है। यही वह पक्ष है, जिसके आधार पर मिस्त्री अदालत या कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय में अपनी शिकायत लेकर जा सकते हैं। टाटा संस की जिस बोर्ड बैठक में मिस्त्री को हटाने का फैसला हुआ उसके एजेंडे में यह विषय था ही नहीं। उनकी बर्खास्तगी एजेंडे के 'एनी अदर आइटम' (कोई अन्य मसला) विषय के तहत हुई। ऐसे में यह मामला भी कॉरपोरेट गवर्नेस के दायरे में आ सकता है। इतने अधिक महत्व का विषय बोर्ड की बैठक में 'एनी अदर आइटम' के अंतर्गत किस प्रकार लाया जा सकता है। कॉरपोरेट गवर्नेस के नियम कहते हैं कि यह ऐसा विषय है, जिस पर बोर्ड के सदस्यों को बैठक से पहले पूरी तैयारी का समय मिलना चाहिए।

सरकार नहीं देगी दखल : मेघवाल

केंद्र सरकार मिस्त्री और टाटा समूह के बीच जारी विवाद पर नजर रखे हुए है। फिलहाल सरकार इस मामले में कोई दखल नहीं देना चाहती है, क्योंकि यह एक समूह का आंतरिक मसला है। कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने यहां गिफ्ट सिटी में शुक्रवार को संवाददाताओं के सवाल पर यह बात कही। मेघवाल ने यह भी बताया कि सरकार को इस मुद्दे पर सेबी जैसे किसी नियामक से कार्रवाई के संबंध कोई सूचना नहीं मिली है।

टाटा की जांच को बने एसआइटी : स्वामी

एयर एशिया को मंजूरी देने में भ्रष्टाचार को लेकर टाटा समूह पर मिस्त्री के लगाए आरोपों को देखते हुए पूरे मामले की एसआइटी से जांच कराई जाए। भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में यह मांग की है। उन्होंने कहा कि इस मंजूरी में कई तरह की अनियमितताओं को देखते हुए कई एजेंसियों वाली विशेष जांच टीम यानी एसआइटी गठित की जानी चाहिए। इसमें सीबीआइ, प्रवर्तन निदेशालय और सेबी जैसी सरकारी एजेंसियों को शामिल किया जाए। स्वामी ने याद दिलाया कि वह मोदी को पहले भी पत्र लिखकर एयर एशिया व विस्तारा एयरलाइंस में भारतीय साझेदार के रूप में रतन टाटा की भूमिका पर सवाल उठाए थे। इन दोनों ही मामलों में देश के कानूनों का पूरी तरह उल्लंघन किया गया है।

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