सरकार ने तय की बड़े कर्ज डिफॉल्टरों की जवाबदेही
गोयल ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सप्रंग सरकार से विरासत में मिले इस बोझ को भाजपा सरकार अब ढो रही है
नई दिल्ली (पीटीआई)। केंद्र सरकार ने कर्ज नहीं चुकाने वाले बड़े कर्जदारों (लोन डिफॉल्टरों) की जवाबदेही तय की है। इसके अलावा बैंकों की हालत सुधारने के लिए भी कई कदम उठाए गए हैं। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को यह बात कही। गोयल ने फंसे कर्जो यानी एनपीए की समस्या के लिए पिछली संप्रग सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
केंद्रीय मंत्री के मुताबिक, ‘भाजपा के सत्ता में आने से पहले साल 2008 से 2014 के बीच बैंकों पर कर्ज देने का लगातार दबाव बनाया जाता रहा। जबकि इस दौरान बड़े बकाएदारों की ओर से कर्ज की वापसी अनियमित थी। वास्तव में जो कर्ज एनपीए के दर्जे में जा चुके थे, उन्हें नियमित कर्ज की श्रेणी में बनाए रखने के लिए कॉरपोरेट ऋण पुनर्गठन के तहत उनकी रीस्ट्रक्चरिंग किया गया। ऐसा करके बैंकों के नुकसान और उनकी खस्ता हालत को परदे के पीछे छिपाकर रखा गया।’
गोयल ने कहा कि राजग सरकार ने बैंकों की मदद के लिए कई कदम उठाए हैं। उनकी बैलेंस शीट में सुधार के लिए उपाय किए गए। रिजर्व बैंक की ओर से बैंकों की एसेट क्वॉलिटी रिव्यू भी इसी दिशा में उठाया गया कदम है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सरकारी बैंकों की ओर से दिया गया कर्ज नौ साल में करीब साढ़े छह गुना बढ़ गया। मार्च, 2005 में यह 8.08 लाख करोड़ रुपये था। मार्च, 2014 में बढ़कर 52.15 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इस दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) इस रफ्तार से नहीं बढ़ा। इसका सीधा मतलब है कि इस अवधि में राजनीतिक दबाव के चलते बेतरतीब कर्ज दिया गया। इस बेतरतीबी की वजह से जून, 2017 तक बैंकों के एनपीए का स्तर 7.33 लाख करोड़ रुपये हो गया था, जो मार्च, 2015 में 2.75 लाख करोड़ रुपये था।
गोयल ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सप्रंग सरकार से विरासत में मिले इस बोझ को भाजपा सरकार अब ढो रही है। मौजूदा सरकार इस समस्या के हल के लिए हर संभव कदम उठा रही है। एसेट क्वालिटी रिव्यू की व्यवस्था, इन्सॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड लागू करना और बैंकों के बकाए की वसूली के लिए इन्सॉल्वेंसी के मामले नेशनल कंपनी लॉ टिब्यूनल के समक्ष ले जाना इन्हीं प्रयासों का हिस्सा हैं।