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श्रम सुधारों के जरिए कारोबारी सुगमता सूचकांक में शीर्ष 10 देशों में भारत को पहुंचाना है सरकार का लक्ष्य, श्रम मंत्रालय के अधिकारी ने कही ये बात

श्रम सुधारों के तहत केंद्र सरकार की योजना 44 केंद्रीय कानूनों को चार लेबर कोड में समाहित करने की है। ये चार कोड वेतन औद्योगिक संबंध पेशेवर सेफ्टी स्वास्थ्य एवं कामकाजी माहौल और सामाजिक सुरक्षा से जुड़े हैं।

By Ankit KumarEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 07:31 PM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 08:46 AM (IST)
श्रम सुधारों के जरिए कारोबारी सुगमता सूचकांक में शीर्ष 10 देशों में भारत को पहुंचाना है सरकार का लक्ष्य, श्रम मंत्रालय के अधिकारी ने कही ये बात
वेज कोड बिल 2019 को संसद ने पिछले साल मंजूरी दे दी थी। (PC: Pexels)

नई दिल्ली, पीटीआइ। व्यापक श्रम सुधारों के जरिए सरकार का लक्ष्य भारत को 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग' में शीर्ष 10 देशों में पहुंचाना है। संसद के मौजूदा सत्र में तीन मसौदा लेबर कोड को मंजूरी मिलने के बाद इन श्रम सुधारों की मौजूदा प्रक्रिया जल्द पूरी हो जाने की संभावना है। सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह बात कही। श्रम सुधारों के तहत केंद्र की योजना 44 केंद्रीय कानूनों को चार लेबर कोड में समाहित करने की है। ये चार कोड वेतन; औद्योगिक संबंध; पेशेवर सेफ्टी, स्वास्थ्य एवं कामकाजी माहौल और सामाजिक सुरक्षा से जुड़े हैं।   

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वेज कोड बिल 2019 को संसद ने पिछले साल मंजूरी दे दी थी। अन्य तीन कोड को शनिवार को लोकसभा में पेश किया गया।  

श्रम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ''लंबे समय से लंबित इन श्रम सुधारों को पूरा करने के साथ सरकार का लक्ष्य भारत को वर्ल्ड बैंक के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स के शीर्ष 10 देशों में पहुंचाने पर है।'' 

'Doing Business' 2020 रिपोर्ट के मुताबिक कारोबार सुगमता सूचकांक में भारत 14 स्थान के उछाल के साथ 63वें पायदान पर पहुंच गया है। पांच साल (2014-2019) के बीच भारत की रैंकिंग में 79 स्थान का सुधार देखने को मिला है।  

अधिकारी ने कहा, ''मौजूदा सत्र के दौरान संसद में शेष तीन कोड पारित होने के साथ सुधार प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इसके बाद श्रम कानून उत्प्रेरक का काम करेंगे। इससे देश में निवेश आकर्षित करने और रोजगार के सृजन में मदद मिलेगी।'' 

श्रम मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि वर्तमान में श्रम कानूनों से जुड़ी जटिलताओं की वजह से एक उद्यमी बनना बहुत मुश्किल काम है। उन्होंने कहा कि श्रम कानूनों से जुड़ी जटिलाओं की वजह से उनका अनुपालन व्यवहारिक तौर पर काफी मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में अपना बिजनेस करने और रोजगार सृजन करने वाला बनने की बजाय नौकरी करना ज्यादा आसान है।  

इस कोड के बाद कारोबारियों को एक लेबर रिटर्न भरना होगा, एक लाइसेंस और एक रजिस्ट्रेशन रखना होगा। इससे नियमों का अनुपालन आसान हो जाएगा।  

मौजूदा श्रम कानूनों के तहत एक कारोबारी को आठ रजिस्ट्रेशन और चार लाइसेंस मेंटेन करने की जरूरत होती है। इसके अलावा उन्हें आठ लेबर रिटर्न फाइल करना होता है।


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