Coronavirus से उत्पन्न आर्थिक संकट के बीच Gold सुधार सकता है पोर्टफोलियो परफॉर्मेंस, देगा लिक्विडिटी: WGC
WGC ने कहा कि तेजी से फैलते Covid-19 के कारण निवेशक डरे हुए हैं और बाजार धराशायी हैं। ऐसे में सोना बिना क्रेडिट रिस्क के साथ लिक्विडिटी प्रदान कर सकता है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। दुनिया भर के इक्विटी बाजारों में इस समय भूचाल आया हुआ है। कोरोना वायरस के कारण औद्योगिक गतिविधियां ठप पड़ने के चलते इक्विटी बाजारों में भारी गिरावट का दौर देखा जा रहा है। इस बीच वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) ने सोने को अधिक तरल और बिना क्रेडिट रिस्क वाला बताया है। डब्ल्यूजीसी ने कहा कि तेजी से फैलते Covid-19 के कारण निवेशक डरे हुए हैं और बाजार धराशायी हैं। ऐसे में सोना बिना क्रेडिट रिस्क के साथ लिक्विडिटी प्रदान कर सकता है और पोर्टफोलियो परफॉर्मेंस को सुधार सकता है।
डब्ल्यूजीसी ने 'एक रणनीतिक एसेट के रूप में सोने की महत्ता: भारतीय संस्करण ' नामक एक रिपोर्ट में कहा, 'सोना प्रणालीगत जोखिम, मुद्रा मूल्यह्रास और मुद्रास्फीति के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करता है। इसलिए यह स्टॉक, बॉन्ड्स और ब्रॉड-बेस्ड पोर्टफोलियो की अपेक्षा एक बेहतर निवेश है।'
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सोना ऐतिहासिक रूप से इंप्रूव्ड पोर्टफोलियो का रिस्क समावेश करने वाला निवेश है, जो कि सकारात्मक रिटर्न देता है और मार्केट में तनाव के समय लायबिलिटीज को पूरा करने के लिए लिक्विडिटी उपलब्ध कराता है।
डब्ल्यूजीसी के भारत में मैनेजिंग डायरेक्टर सोमासुंदरम पीआर ने कहा, 'आज सोना भारतीय निवेशकों के लिए काफी ज्यादा उपयुक्त है। वैश्विक बाजारों में भारी गिरावट के दौर में और अनिश्चितताओं के समय सोना पोर्टफोलियों को सुधारने में एक बड़ी भूमिका निभाता है। यह रिस्क के कई लेवल्स पर पोर्टफोलियो के रिस्क को एडजस्ट करने वाला रिटर्न देता है। यह महंगाई के विरुद्ध बचाता है। हमारे आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं।' साथ ही उन्होंने कहा कि गोल्ड के साथ विभिन्नताएं रखने वाला पोर्टफोलियो मार्केट के मूवमेंट से पैदा होने वाले पैनिक रिएक्शन से बचाएगा।
साल 1981 से सोने का औसत सालाना रिटर्न 10 फीसद है, जो कि इंडियन कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) की रफ्तार से ज्यादा है। इसका औसत इस दौरान 7.35 फीसद रहा है। उन्होंने कहा कि सोना जबरदस्त महंगाई के विरुद्ध भी निवेशकों को बचाता है।
सोना भू-राजनीतिक बदलावों, इक्विटी बाजारों में भारी गिरावट, वैश्विक मंदी और अनिश्चित्ताओं के समय में सेफ हैवन के रूप में जाना जाता है। यूएस-चाइना ट्रेड वॉर के समय निवेशकों ने सोने में जबरदस्त निवेश किया था। कोरोना वायरस के फैलने के शुरुआती दिनों में भी सोने में अच्छा-खासा निवेश देखने को मिला था, लेकिन इक्विटी बाजारों के धराशायी होने पर निवेशकों ने सोने से प्रोफिट बुकिंग शुरू की, जिसके चलते इसमें गिरावट देखने को मिली।