फिर उबरेगी ग्लोबल अर्थव्यवस्था
आर्थिक सुस्ती से जूझ रही ग्लोबल अर्थव्यवस्था एक बार फिर उबरेगी। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने उम्मीद जताई है कि यदि विकसित अर्थव्यवस्थाएं नीतियों की अनिश्चितता दूर कर दें तो दोबारा चारों ओर आर्थिक उन्नति का दौर होगा। भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार भी ग्लोबल सुस्ती से धीमी पड़ी है। वाशिंगटन में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ)
वाशिंगटन। आर्थिक सुस्ती से जूझ रही ग्लोबल अर्थव्यवस्था एक बार फिर उबरेगी। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने उम्मीद जताई है कि यदि विकसित अर्थव्यवस्थाएं नीतियों की अनिश्चितता दूर कर दें तो दोबारा चारों ओर आर्थिक उन्नति का दौर होगा। भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार भी ग्लोबल सुस्ती से धीमी पड़ी है।
वाशिंगटन में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ) और वर्ल्ड बैंक की सालाना बैठक को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ दिनों के दौरान वित्तीय मोर्चे पर सुधार दिखे हैं। इनमें यूरो क्षेत्र और अमेरिका द्वारा उठाए गए नीतिगत कदमों का विशेष प्रभाव है। ग्लोबल अर्थव्यवस्था स्थिर जरूर है, लेकिन इसमें तेजी आती नहीं दिखाई दे रही। अर्थव्यवस्था के सामने अभी भी कठिन चुनौतियां हैं। विकसित देशों की जिम्मेदारी बनती है कि सुधार में भरोसा बढ़ाने वाले कदम उठाएं ताकि समस्याओं का हल निकाला जा सके।
ग्लोबल अर्थव्यवस्था के सामने अभी भी कई जोखिम हैं। इससे भारत जैसी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के नीति निर्धारकों को निर्णय लेने में समस्याएं सामने आ रही हैं। यूरो क्षेत्र की अर्थव्यवस्था सुधर रही है। वैसे, साइप्रस में जो कुछ हुआ उससे लगता है कि अभी भी स्थिरता की स्थिति नहीं कही जा सकती। जहां तक भारतीय अर्थव्यवस्था की बात है, उस पर ग्लोबल सुस्ती का असर साफ देखा जा सकता है। कुछ घरेलू कारण भी विकास दर को प्रभावित कर रहे हैं।
भारत में आर्थिक गतिविधियां धीमी हैं। सरकार ने पिछले कुछ समय में नीतिगत निर्णय लेकर इस सुस्ती को दूर करने का प्रयास किया है। राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए फैसले लिए गए हैं। इससे न केवल निवेश बढ़ेगा, बल्कि विकास दर भी तेज होगी। हमने निवेश मामलों की कैबिनेट समिति का गठन भी किया है। यह विदेशी निवेश के रास्ते में आ रही अड़चनों को दूर करेगी और इंफ्रास्ट्रक्चर समेत बड़े प्रोजेक्टों का रास्ता साफ करने में मदद देगी।
चिदंबरम ने बैठक में बताया कि आधार कार्ड की मदद से सब्सिडी को सीधे खातों में पहुंचाने की योजना भी शुरू कर दी है। इस नीति को धीरे-धीरे पूरे देश में लागू कर सब्सिडी का बोझ खत्म किया जाएगा। इसके अलावा सब्सिडी में दी जाने वाली रकम का सही उपयोग भी होगा। महंगाई दर में भी सुधार आ रहा है। रिजर्व बैंक ने भी तीन महीनों के दौरान नीतिगत दरों में कटौती की है। विकास दर में तेजी आने की पूरी उम्मीद है। हमें यदि ग्लोबल अर्थव्यवस्था में सुधार लाना है तो यूरोप की आर्थिक स्थिति ठीक होना सबसे जरूरी है।
इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए चाहिए 10 खरब डॉलर
वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने विश्व बैंक के अध्यक्ष किम योंग किम से कहा है कि भारत को इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए पांच साल के दौरान दस खरब डॉलर की जरूरत होगी। किम ने बताया कि इससे बचने के लिए निजी क्षेत्र के सहयोग की जरूरत है।
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून के साथ एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए किम ने बताया कि इतनी बड़ी धनराशि की जरूरत निजी क्षेत्र के सहयोग के बिना पूरी नहीं की जा सकती। चिदंबरम ने जो धनराशि बताई है, सब मिलकर भी उसका आधा ही सहयोग दे पाएंगे। बंदरगाह, सड़क और टेलीकम्युनिकेशन जैसे सेक्टरों में निजी क्षेत्र का निवेश विकास की तस्वीर बदल सकता है।
विकास और रोजगार का दूसरा रास्ता नहीं
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने कहा है कि ऐसा कोई एक रास्ता नहीं है जिससे ग्लोबल अर्थव्यवस्था सुधार के रास्ते पर चल पड़े और नौकरियां भी पैदा हो जाएं। आइएमएफ की वित्तीय समिति के चेयरमैन व सिंगापुर के उपप्रधानमंत्री एस थर्मन ने बताया कि ढांचागत सुधारों के बिना अर्थव्यवस्था की रफ्तार और नौकरियां नहीं बढ़ाई जा सकतीं। मुद्राकोष की मुखिया क्रिस्टीन लगार्ड ने कहा कि वित्तीय समिति की बैठक के एजेंडे में नौकरियां और विकास दर बढ़ाने के रास्ते तलाशना प्राथमिकता है। हर देश को अपनी नीतियों में बदलाव लाकर ढांचागत सुधार लाने होंगे।