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कई विदेशी कंपनियां भारत में विस्तार की इच्छुक, जताई है निवेश की इच्छा

गोल्डमैन सैश के अलावा ब्रुकफील्ड आईबीएम डीएचएल जैसी कंपनियों के साथ कई सेमीकंडक्टर कंपनियां भी भारत में अपने संचालन में तेजी लाना चाहती है। डीएचएल ने भारत में दो लाजिस्टिक सुविधा केंद्रों की स्थापना की है। डीएचएल भारत में अपना और विस्तार करना चाहती है।

By Monika MinalEdited By: Published: Sat, 04 Jun 2022 05:39 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jun 2022 07:37 AM (IST)
कई विदेशी कंपनियां भारत में विस्तार की इच्छुक, जताई है निवेश की इच्छा
कई विदेशी कंपनियां भारत में विस्तार की इच्छुक

नई दिल्ली, राजीव कुमार। विदेशी कंपनियां भारत को टैलेंट पूल के रूप में देख रही है। यही वजह है कि चीन और वियतनाम में काम कर रही कई विदेशी कंपनियां अब अपना विस्तार भारत में करना चाहती है। इन कंपनियों को जरूरत के मुताबिक भारत में आसानी से निपुण इंजीनियर और कर्मचारी मिल रहे हैं। पिछले दो साल में भारत तेज गति से आर्थिक विकास करता हुआ भरोसेमंद राष्ट्र के रूप में भी सामने आया है।

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में बताया था कि गोल्डमैन सैश के साथ उनकी मुलाकात हुई थी और कंपनी ने बताया था कि वह भारत को एक टैलेंट पूल के रूप में देखते हैं। कंपनी में काम करने वाले अधिकतर इंजीनियर भारतीय है। गोल्डमैन सैश के अलावा ब्रुकफील्ड, आईबीएम, डीएचएल जैसी कंपनियों के साथ कई सेमीकंडक्टर कंपनियां भी भारत में अपने संचालन में तेजी लाना चाहती है। डीएचएल ने भारत में दो लाजिस्टिक सुविधा केंद्रों की स्थापना की है। डीएचएल भारत में अपना और विस्तार करना चाहती है।

वित्त मंत्री सीतारमण ने बताया कि हाल ही में अमेरिका में विश्व बैंक के कार्यक्रम में भाग लेने के दौरान वियतनाम जैसी जगहों पर काम कर रही विदेशी कंपनियों ने भारत में अपने विस्तार की इच्छा जताई। उन्होंने बताया कि वैश्विक एजेंसियां बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे क्षेत्रों को टैलेंट हब के रूप में देख रही है।

चीन से हो रहा मोहभंग

दूसरी तरफ, पिछले दो साल में चीन की स्थिति में बदलाव से भी विदेशी कंपनियों का रुख भारत की ओर तेजी से बढ़ रहा है। ईयू चैंबर ऑफ कॉमर्स इन चीन की पिछले महीने की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में काम करने वाली 25 प्रतिशत विदेशी कंपनियां अब चीन से बाहर मैन्यूफैक्च¨रग करना चाहती है। इसकी मुख्य वजह चीन की जीरो कोविड नीति है। चैंबर की रिपोर्ट के मुताबिक इसका फायदा भारत, मलेशिया, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों को मिल सकता है।

दक्षिण कोरिया भी बढ़ाना चाहता है निवेश

दक्षिण कोरिया भी भारत में अपने निवेश को बढ़ाना चाहता है। भारत में दक्षिण कोरिया के राजदूत चंग जे-बोक ने तीन दिन पहले एक कार्यक्रम में बताया था कि स्टील और केमिकल्स सेक्टर में कोरिया की कंपनियां भारत में निवेश करने पर विचार कर रही है। कोरिया की कई छोटे व मध्य आकार वाली कंपनियां भारत में निवेश करने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक, जापान का साफ्ट बैंक भी वर्ष 2022 में भारत में एक अरब डालर निवेश कर सकता है। पिछले साल साफ्ट बैंक ने भारत में 12 परियोजनाओं में 3.2 अरब डॉलर का निवेश किया था।

ईयू से मुक्त व्यापार समझौते का भी फायदा मिलेगा

वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि पिछले महीने दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक फोरम में सभी देश भारत को निवेश के लिए सबसे उपयुक्त स्थान के रूप में देख रहे थे। भारत के चार राज्यों ने भी दावोस में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए अपना पवेलियन लगाया था। गोयल ने बताया कि वियतनाम का अभी यूरोपीय यूनियन (ईयू) के साथ मुक्त व्यापार समझौता है। इसलिए वियतनाम में मैन्युफैक्च¨रग करने वाली विदेशी कंपनियों को इस व्यापार समझौते का फायदा मिलता है। उन्होंने कहा कि भारत का ईयू के साथ व्यापार समझौता होने पर निश्चित रूप से वियतनाम में स्थापित विदेशी कंपनियां भारत में शिफ्ट कर सकती है। जल्द ही भारत ईयू के साथ व्यापार समझौता पर बातचीत शुरू करने जा रहा है।


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