पटरी से उतर चुकी है वैश्विक और घरेलू अर्थव्यवस्था की गाड़ी, दूसरे राहत पैकेज के बाद नए बजट अनुमानों पर शुरू हो सकता है काम
सरकार की कमाई और खर्च से लेकर जीडीपी में वृद्धि के सब अनुमान ध्वस्त होते जा रहे हैं। इन बदले हालात में सरकार चालू वित्त वर्ष (2020-21) के लिए बजट अनुमान नए सिरे से तय कर सकती है।
नई दिल्ली, राजीव कुमार। कोरोना महामारी ने देश और दुनिया की अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार दिया है। कुछ महीने पहले अर्थव्यवस्था को लेकर जताए गए तमाम अनुमान अब अप्रासंगिक हो गए हैं। सरकार की कमाई और खर्च से लेकर जीडीपी में वृद्धि के सब अनुमान ध्वस्त होते जा रहे हैं। इन बदले हालात में सरकार चालू वित्त वर्ष (2020-21) के लिए बजट अनुमान नए सिरे से तय कर सकती है।
सरकार लोगों को महामारी से बचाने के लिए खजाने का मुंह खोल चुकी है। दूसरी तरफ, इस विपरीत परिस्थिति में कर संग्रह व अन्य सरकारी राजस्व वसूली का स्तर अपने निर्धारित लक्ष्य से कोसों दूर दिख रहा है। इसे देखते हुए 2020-21 के लिए फिर से आर्थिक अनुमान लगाने का काम शुरू होने जा रहा है। अप्रैल के अंतिम सप्ताह में आयोजित वित्त आयोग की बैठक में भी सभी सदस्यों ने एकमत से सरकार को फिर से जीडीपी का वास्तविक अनुमान लगाने की सलाह दी थी। कोविड-19 महामारी और देशव्यापी लॉकडाउन से घरेलू आर्थिक गतिविधियों के साथ वित्तीय संस्थानों व औद्योगिक उत्पादन में सुस्ती आई है।
वैश्विक और घरेलू स्तर पर मंदी की वजह से भारतीय वस्तुओं की मांग में भी गिरावट आ रही है। आíथक विशेषज्ञों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से लेकर राजस्व संग्रह और सरकारी व्यय के पहले के अनुमान का कोई मतलब नहीं रह जाता है। सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के नए सचिव तरुण बजाज के कार्यभार संभालने के बाद इस दिशा में काम शुरू हो सकता है। उन्होंने पहली मई को अपना कार्यभार संभाला है।
एचडीएफसी के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ कहते हैं, अब के हालात में सारे अनुमान बदल गए हैं। पहले वृद्धि दर का अनुमान कुछ और था, अब यह एक-डेढ़ फीसद भी नहीं रहने वाला है। सरकार अगले राहत पैकेज के बाद चालू वित्त वर्ष के लिए रिवाइज्ड बजट ला सकती है। बरुआ ने बताया कि दूसरे राहत पैकेज के बाद सरकार को अपने राजकोषीय घाटे के साथ राजस्व संग्रह व खर्च का अनुमान लगाना आसान हो जाएगा।
नहीं जारी किए जा रहे आंकड़े : विशेषज्ञों के मुताबिक हालात बदलने के कारण ही चालू वित्त वर्ष का पहला महीना निकलने के बाद भी भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई दर और विकास दर के अपने अनुमान की घोषणा नहीं की है। चालू वित्त वर्ष के पहले महीने के वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) के संग्रह को भी सार्वजनिक नहीं किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि आपात स्थिति की वजह से सरकार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों ही प्रकार के करों के जमा करने की समय सीमा भी आगे बढ़ा चुकी है।
यह था बजट अनुमान : सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए 30.4 लाख करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान लगाया था। कर संग्रह के लिए 24.23 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा था। राजकोषीय घाटे के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.5 फीसद का लक्ष्य तय किया गया था। 2.12 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा गया था। पहली फरवरी को पेश बजट में कहा गया था कि वर्तमान रुख को देखते हुए 2020-21 में नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ रेट 10 फीसद रह सकता है।