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वित्त मंत्री को उम्मीद, जल्द होगा सुधार

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। रुपये की कीमत में हाल के कुछ महीनों के दौरान 15 फीसद की गिरावट को लेकर सरकार परेशान तो है। लेकिन उसे भरोसा है कि हालात में जल्द सुधार होंगे। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने गुरुवार को यहां सिलसिलेवार उन वजहों को गिनाया जो रुपये की चाल को बदलने का माद्दा रखती हैं। उन्हें इस बात का पूरा एतबार है कि देश में बहुत जल्द ही बड़ी मात्रा में विदेशी निवेश आना शुरू हो जाएगा, जिससे रुपये को मजबूती मिलेगी।

By Edited By: Published: Thu, 22 Aug 2013 06:18 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। रुपये की कीमत में हाल के कुछ महीनों के दौरान 15 फीसद की गिरावट को लेकर सरकार परेशान तो है। लेकिन उसे भरोसा है कि हालात में जल्द सुधार होंगे। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने गुरुवार को यहां सिलसिलेवार उन वजहों को गिनाया जो रुपये की चाल को बदलने का माद्दा रखती हैं। उन्हें इस बात का पूरा एतबार है कि देश में बहुत जल्द ही बड़ी मात्रा में विदेशी निवेश आना शुरू हो जाएगा, जिससे रुपये को मजबूती मिलेगी।

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चिदंबरम के मुताबिक अर्थंव्यवस्था को पटरी पर लाने और देश में विदेशी निवेश को बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों का असर चालू वित्त वर्ष की अंतिम छमाही में दिखेगा। मौजूदा तिमाही (जुलाई-सितंबर) के दौरान भले ही आर्थिक विकास की दर सामान्य रहे, लेकिन इसके बाद के छह महीनों में इसमें काफी सुधार होगा। इसी तरह से चालू खाते में घाटे (सीएडी) को इस वर्ष 70 अरब डॉलर के स्तर पर बनाए रखने की जो कोशिश की जा रही है उसमें भी उम्मीद से ज्यादा सफलता मिलने के आसार हैं।

हाल के दिनों में कई आर्थिक मोर्चो पर भी अच्छी खबरें मिली हैं। मसलन, पहली तिमाही में देश में 9.14 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया है। यह पिछले वर्ष की पहली तिमाही के मुकाबले 70 फीसद ज्यादा है। निर्यात भी जुलाई में 11.7 फीसद की रफ्तार से बढ़ा है। निर्यात बढ़ने से व्यापार घाटे की स्थिति सुधरी है और यह 12.3 अरब डॉलर रह गया है। इसके अलावा विदेशी मुद्रा भंडार अभी भी 277 अरब डॉलर का है। इसके मुकाबले देश पर बकाया विदेशी कर्ज सिर्फ 21.2 अरब डॉलर का है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मुकाबले सार्वजनिक ऋण 66 फीसद है, जबकि वर्ष 2006-07 में यह 73.2 फीसद था।

आरबीआइ गवर्नर डी सुब्बाराव का भी कहना है कि मौजूदा हालात को संभालने के लिए विदेशी मुद्रा का भंडार पर्याप्त है। देश की अर्थव्यवस्था के आधारभूत तत्वों की मजबूती पर कोई आंच नहीं आई है। मौजूदा उथल-पुथल के पीछे ग्लोबल कारण हैं। इन पर हमारा बस नहीं है।

इसी से रुपये में जरूरत से ज्यादा उतार-चढ़ाव हो रहा है। इसे ही थामने की जरूरत है, लेकिन विदेशी विनिमय दर नियंत्रित करने का हमारा कोई इरादा नहीं है। आरबीआइ ने अब तक जो कड़े कदम उठाए हैं उनके पीछे इरादा रुपये में अचानक उतार-चढ़ाव थामने का ही है। जैसे ही रुपया स्थिर होगा, ये कदम वापस लिए जाएंगे। उद्योग जगत ने वित्तमंत्री व आरबीआइ गवर्नर के आश्वासनों का स्वागत किया है। लेकिन साथ ही आर्थिक सुधार के कार्यक्रमों को तेजी से आगे बढ़ाने का आग्रह भी किया है।


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