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चालू वित्त वर्ष में 6.5 फीसद ग्रोथ रेट का अनुमान: पीएमईएसी चेयरमैन देबरॉय

यह सच है कि ग्लोबल अनिश्चितता के चलते भारत के ग्रोथ रेट को प्रमुखता से बढ़ाने का जिम्मा अकेले नेट एक्सपोर्ट नहीं उठा सकता।

By NiteshEdited By: Published: Sun, 01 Sep 2019 09:48 AM (IST)Updated: Sun, 01 Sep 2019 09:48 AM (IST)
चालू वित्त वर्ष में 6.5 फीसद ग्रोथ रेट का अनुमान: पीएमईएसी चेयरमैन देबरॉय
चालू वित्त वर्ष में 6.5 फीसद ग्रोथ रेट का अनुमान: पीएमईएसी चेयरमैन देबरॉय

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष (2019-20) की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून अवधि में जीडीपी की ग्रोथ रेट भले ही घटकर पांच फीसद पर आ गई हो, लेकिन आने वाली तिमाहियों में इसके सुधरने की पूरी उम्मीद है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के चेयरमैन बिबेक देबरॉय ने इसकी उम्मीद जताते हुए कहा है कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही की अपेक्षा दूसरी छमाही में ग्रोथ रेट अधिक रहेगा। इससे जीडीपी वृद्धि दर इस पूरे वर्ष के लिए 6.5 फीसद तथा अगले वित्त वर्ष में सात फीसद रहने का अनुमान है।

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देबरॉय ने जोर देकर कहा, ‘जो लोग निराशा का माहौल बना रहे हैं वे बहुत नुकसान कर रहे हैं। रचनात्मक आलोचना और सुझावों का स्वागत है। ऐसे में चिंता और निराशा के संदेशों से बचना चाहिए।’ चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उनका कहना था, ‘अर्थव्यवस्था के बारे में बेसिर-पैर की नकारात्मक बातें फैलाई जा रही हैं। यह सच है कि ग्लोबल अनिश्चितता के चलते भारत के ग्रोथ रेट को प्रमुखता से बढ़ाने का जिम्मा अकेले नेट एक्सपोर्ट नहीं उठा सकता। इसके बावजूद वित्त वर्ष 2019-20 में देश की विकास दर 6.5 से सात फीसद तक रहने का अनुमान है। ग्रोथ रेट का का अनुमान सरकारी संस्थानों या सरकार के लिए काम करने वालों ने नहीं लगाया है। सरकार से बाहर की एजेंसियों ने भी इसी तरह का अनुमान प्रकट किया है। जब दुनिया में कई देश पॉजिटिव ग्रोथ रेट के लिए संघर्ष कर रहे हैं, हमें भारत की 6.5 से सात फीसद के ग्रोथ रेट को हल्के में लेकर खारिज नहीं करना चाहिए।’

सरकार भी मानती है कि गरीबी दूर करने और नौकरियां बढ़ाने के लिए ग्रोथ रेट का अधिक होना जरूरी है। देबरॉय ने कहा कि सरकार ने जो सुधार किए हैं वे आर्थिक गतिविधियों में उतार-चढ़ाव और संस्थागत पहलू के सवालों का जवाब हैं। कहा, ‘अर्थशास्त्री जब संस्थागत बाधाओं का जिक्र करते हैं तो वे अक्सर उन मुद्दों का जिक्र करते हैं जो राज्य सूची या समवर्ती सूची में शामिल हैं। कई बार ये विधायिका या न्यायपालिका से संबंधित होते हैं। चूंकि ये सुधार जटिल हैं, इसलिए ये एक दिन में नहीं बल्कि धीरे-धीरे होंगे।’

बीते दो सप्ताह में केंद्र सरकार ने इकोनॉमी को मजबूती और ग्रोथ रेट को गति देने के लिए दो बार उपायों की घोषणा की है। देबरॉय ने वित्तीय क्षेत्र और टैक्स की प्रक्रियाओं में सुधारों की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि जीएसटी काउंसिल के जरिये इनडायरेक्ट टैक्स सुधार होंगे जबकि डायरेक्ट टैक्स पर टास्क फोर्स ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण, फिस्कल कंसोलिडेशन और केंद्रीय योजनाओं पर खर्च की समीक्षा का इरादा भी जाहिर किया है। देश की अर्थव्यवस्था के आधार स्तंभ मजबूत हैं। ऐसे में ये सभी उपाय अगली कुछ तिमाहियों में परिणाम दिखाने शुरू कर देंगे। 


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