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GDP में संकुचन से MSME सेक्टर के सामने अस्तित्व का सवाल, नीतिगत उपायों से थोड़ी राहतः रिपोर्ट

Crisil की एक रिपोर्ट के मुताबिक सूक्ष्म उद्योग को सबसे अधिक नुकसान पहुंचने का अनुमान है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Mon, 15 Jun 2020 04:42 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jun 2020 07:29 AM (IST)
GDP में संकुचन से MSME सेक्टर के सामने अस्तित्व का सवाल, नीतिगत उपायों से थोड़ी राहतः रिपोर्ट
GDP में संकुचन से MSME सेक्टर के सामने अस्तित्व का सवाल, नीतिगत उपायों से थोड़ी राहतः रिपोर्ट

मुंबई, पीटीआइ। चालू वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में पांच फीसद के संकुचन से देश के कारोबार जगत की आय में 15 फीसद की कमी आ सकती है। जीडीपी के सिकुड़ने से छोटे कारोबार के सामने अस्तित्व का सवाल उत्पन्न हो सकता है। सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में ऐसा कहा गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय की ओर से उठाए गए नीतिगत उपायों के चलते थोड़ी आशा पैदा हुई है। हालांकि, छोटे कारोबारियों के लिए मांग बढ़ाना सबसे अधिक जरूरी है।

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घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के शोध विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योग (MSME) सेक्टर की आय में 21 फीसद तक की भारी कमी आ सकती है जबकि परिचालन लाभ में चार-फीसद की कमी का अनुमान है। 

एजेंसी ने कोरोना वायरस महामारी और देशभर में करीब तीन माह के लॉकडाउन की वजह से इकोनॉमी में पांच फीसद तक के संकुचन का अनुमान जताया है। इसी बीच सरकार और आरबीआई ने देश की इकोनॉमी और उद्योग जगत को राहत देने के लिए कुछ उपायों की घोषणा की है। इसमें MSME सेक्टर के लिए 3 लाख करोड़ रुपये के बिना गारंटी के लोन की पहल अहम है। 

एजेंसी ने कहा है, "MSMEs के सामने अस्तित्व का सवाल पैदा हो गया है। राजस्व में 20 फीसद तक की कमी आ सकती है....परिचालन स्तर पर गिरावट से क्रेडिट मूल्य पर असर पड़ेगा। इससे नकदी संकट से जूझ रही इन कंपनियों की समस्या और बढ़ जाएगी।" 

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वस्तुओं की कीमतों में आई गिरावट का फायदा उठाया जा सकता है लेकिन मांग में कमी की वजह से छोटे कारोबारी इस अवसर को नहीं भुना पा रहे हैं।  

रिपोर्ट के मुताबिक सूक्ष्म उद्योग को सबसे अधिक नुकसान पहुंचने का अनुमान है। यह सेक्टर राजस्व में वृद्धि, परिचालन लाभ अंतर और वर्किंग कैपिटल के मोर्चे पर बहुत अधिक दबाव झेल रहा है। 

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इस रिपोर्ट के मुताबिक अतीत के अनुभव यह बताते हैं कि सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को वर्किंग कैपिटल से जुड़ी चुनौतियों को संभालने में बड़ी और मध्यम आकार की कंपनियों के मुकाबले ज्यादा दिक्कत पेश आती है।


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