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नितिन गडकरी का बड़ा बयान, कहा- इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए पैसे की कमी

केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक कार्यक्रम के दौरान स्वीकार किया कि सरकार को इन्फ्रा प्रोजेक्ट्स की फंडिंग में दिक्कत आ रही है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 06:28 PM (IST)Updated: Wed, 27 Nov 2019 08:32 AM (IST)
नितिन गडकरी का बड़ा बयान, कहा- इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए पैसे की कमी

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। रोड ट्रांसपोर्ट और हाईवे मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को एक बड़ा बयान दिया है। गडकरी ने एक कार्यक्रम के दौरान स्वीकार किया कि सरकार वित्तीय मोर्चे पर बाधाओं का सामना कर रही है और सरकार को बुनियादी ढांचा की परियोजनाओं में निवेश में मुश्किल आ रही है। उन्होंने इसके लिए निजी निवेश को जरूरी बताया। मंत्री ने अपने वक्तव्य के दौरान घरेलू कंपनियों को बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं में निवेश करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इससे अर्थव्यवस्था की मंद गति को पटरी पर लाने में मदद मिलेगी।

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अंग्रेजी अखबार 'मिंट' की एक रिपोर्ट के मुताबिक गडकरी ने क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत को एक ऐसा इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट मॉडल तलाशना चाहिए जो निवेशकों के साथ-साथ वित्तीय संस्थाओं और कर्जदाताओं के लिए भी फायदेमंद हो। उन्होंने कहा कि देश में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) को लेकर बहुत अधिक संभावनाएं हैं। केंद्रीय मंत्री ने निजी क्षेत्र के निवेश के लिए अधिक क्षेत्रों को चिह्नित करने का भी आह्वान किया। 

गडकरी ने कहा कि इनफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्टस में छोटी कंपनियों की भागीदारी से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि भारतीय उद्योग जगत को अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है। मंत्री ने कहा कि 'हमें बैंक, इंश्योरेंस कंपनियों जैसे वित्तीय संस्थाओं की ओर से सकारात्मक मदद की जरूरत है।'

मोदी सरकार के इस वरिष्ठ मंत्री का बयान काफी महत्व रखता है क्योंकि सरकार ने 2024 तक देश को 5 ट्रिलियन की इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य रखा है।

वहीं, क्रिसिल ने इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि राज्यों को अगले एक दशक में देश की बुनियादी क्षेत्र से जुड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने निवेश को 3.5 गुना तक बढ़ाना होगा। 

रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि 2021 से लेकर 2030 तक भारत को इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च के लिए 235 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि की जरूरत होगी। 


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