FPIs Outflow Continues: विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी, जून में अब तक निकाले 46 हजार करोड़ रुपये
FPIs exodus continues विदेशी निवेशकों की बिकवाली लगातार जारी है। जून में अब तक विदेशी निवेशकों (Foreign Portfolio Investors) ने लगभग 46 हजार करोड़ रुपये निकाल लिए हैं। रिजर्व बैंक और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा सख्त मौद्रिक नीति तेल की कीमत और रुपये में उतार-चढ़ाव इसका मुख्य कारण है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। भारतीय शेयर बाजार से विदेशी निवेशक पिछले कई महीनों से लगातार अपना शेयर निकाल रहे हैं। रिजर्व बैंक और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा सख्त मौद्रिक नीति, तेल की ऊंची कीमतों और रुपये में उतार-चढ़ाव के बाद इस महीने अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से करीब 46,000 करोड़ रुपये निकाले हैं।
इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज एंड यस सिक्योरिटीज के लीड एनालिस्ट हितेश जैन ने बताया कि डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि 2022 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) द्वारा इक्विटी से नेट आउटफ्लो अब तक 2.13 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यूएस फेड और अन्य प्रमुख केंद्रीय बैंकों द्वारा पॉलिसी नॉर्मलाइजेशन को देखते हुए उच्च तेल की कीमतों और अस्थिर रुपये के साथ, एफपीआई के उभरते बाजार की संपत्ति से दूर रहने की संभावना है। उन्होंने कहा कि एफपीआई का फ्लो तब फिर से शुरू होगा, जब अमेरिका में बॉन्ड यील्ड पीक पर हो और फेड रेट में बढ़ोतरी न हो।
वहीं, जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वीके विजयकुमार ने कहा कि इसके अलावा अगर डॉलर और बॉन्ड यील्ड का मौजूदा रुझान बना रहता है, तो एफपीआई के अधिक बिकने की संभावना है। आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी निवेशकों ने जून में (24 तारीख तक) इक्विटी से 45,841 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की है। एफपीआई द्वारा बड़े पैमाने पर बिक्री जून में जारी रही। वे अक्टूबर 2021 से भारतीय इक्विटी से लगातार पैसा निकाल रहे हैं।
वहीं, जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के विजयकुमार कहते हैं कि अमेरिका में बढ़ते डॉलर और बॉन्ड यील्ड की सराहना एफपीआई के आउटफ्लो को ट्रिगर करने वाले प्रमुख कारक हैं।
फाइनेंशियल सर्विस टैक्स, बीडीओ इंडिया के पार्टनर और लीडर मनोज पुरोहित ने कहा कि आरबीआई की मौद्रिक नीति को सख्त करने और वैश्विक कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोतरी ने मुख्य रूप से घरेलू बाजारों को पिछले कुछ महीनों के दौरान इक्विटी बाजारों से पर्याप्त नकदी के आउटफ्लो के लिए प्रेरित किया है। इस तरह की निकासी की गति आखिरी बार तब देखी गई थी, जब 2020 की पहली तिमाही में महामारी बढ़ी थी। पुरोहित ने कहा कि वैश्विक स्तर पर यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे सैन्य संघर्ष, बढ़ती खाद्य दरों और महामारी के प्रकोप की वापसी ने इसमें इजाफा किया है।
भारत के अलावा कई देशों में बिकवाली जारी
बीडीओ इंडिया के पुरोहित का मानना है कि भारत अभी भी अन्य वैश्विक बाजारों की तुलना में बेहतर स्थिति में है। भारत के अलावा, ताइवान, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस, इंडोनेशिया और थाईलैंड जैसे अन्य उभरते बाजारों में एफपीआई भारी बिक्री कर रहे हैं।