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    FPI Investment: डॉलर इंडेक्स में नरमी के बीच एफपीआई ने एक हफ्ते में खरीदे 14,000 करोड़ रुपये के शेयर

    By Siddharth PriyadarshiEdited By:
    Updated: Sun, 07 Aug 2022 01:25 PM (IST)

    FPI Investment Data विदेशी निवेशकों ने भारतीय इक्विटी पर अपना सकारात्मक रुख जारी रखा और डॉलर सूचकांक में नरमी के बीच अगस्त के पहले सप्ताह में 14000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया। इसके आगे बने रहने की उम्मीद है।

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    FPIs buy shares worth Rs 14000 cr in a week amid softening dollar index

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। पिछले महीने शुद्ध खरीदार बने रहने के बाद, विदेशी निवेशकों (FPIs) ने भारतीय इक्विटी पर अपना सकारात्मक रुख जारी रखा और डॉलर सूचकांक में नरमी के बीच अगस्त के पहले सप्ताह में 14,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया। शेयर बाजार के आंकड़ों से पता चलता है कि यह पूरे जुलाई में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (Foreign Portfolio Investors) द्वारा किए गए लगभग 5,000 करोड़ रुपये के शुद्ध निवेश से कहीं अधिक था।

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    विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने लगातार नौ महीनों के पूंजी के भारी ऑउटफ्लो के बाद जुलाई में इक्विटी की जमकर खरीदारी की थी। बता दें कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा बिकवाली का सिलसिला पिछले साल अक्टूबर से शुरू हुआ था। अक्टूबर 2021 और जून 2022 के बीच उन्होंने भारतीय इक्विटी बाजारों में 2.46 लाख करोड़ रुपये की भारी बिक्री की।

    लौटा विदेशी निवेशकों का भरोसा

    यस सिक्योरिटीज के इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के लीड एनालिस्ट हितेश जैन ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में में कहा कि अगस्त के दौरान एफपीआई प्रवाह सकारात्मक रहने की उम्मीद है, क्योंकि रुपये के लिए सबसे खराब स्थिति करीब-करीब खत्म हो गई है और कच्चे तेल की कीमत भी एक सीमा में बनी हुई है। इसके अलावा कंपनियों का नेट प्रॉफिट भी मजबूत बना हुआ है।

    डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने अगस्त के पहले सप्ताह में भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से 14,175 करोड़ रुपये का निवेश किया। एफपीआई द्वारा रणनीति में बदलाव ने बाजार की हालिया तेजी को और मजबूती प्रदान की है।

    वहीं जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी के विजयकुमार ने कहा, "डॉलर इंडेक्स का पिछले महीने के 109 के उच्च स्तर से 106 तक आना एफपीआई प्रवाह (FPI inflows) का प्रमुख कारण है। यह प्रवृत्ति जारी रह सकती है।" वहीं मॉर्निंगस्टार इंडिया के हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि इन सभी बातों के अलावा यूएस फेड के चेयरमैन जेरोम पॉवेल की यह टिप्पणी कि वर्तमान में अमेरिका मंदी में नहीं है, ने वैश्विक स्तर पर जोखिम की भावना को कम करने में मदद की है। उन्होंने कहा कि भारतीय इक्विटी बाजारों में हालिया सुधार ने भी खरीदारी का अच्छा अवसर प्रदान किया है और एफपीआई (FPIs) उच्च गुणवत्ता वाली कंपनियों को चुनकर इसका फायदा उठा रहे हैं। वे पूंजीगत सामान, एफएमसीजी, निर्माण और बिजली जैसे क्षेत्रों में खरीदार बन गए हैं।

    नाजुक है चीन-ताइवान का संतुलन

    हालांकि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिए चीन और ताइवान समीकरण एक चिंता का विषय हो सकता है और दोनों के बीच बढ़ता तनाव क्षेत्र में भू-राजनीतिक जोखिमों को और बढ़ा सकते हैं। इससे एफपीआई प्रवाह पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दर में किसी भी तरह की आक्रामक बढ़ोतरी या इसकी आशंका भारत जैसे उभरते बाजारों से पूंजी के ऑउटफ्लो को और बढ़ा सकती है।

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