5 Years of GST: जीएसटी के पांच साल, सस्ती हुईं चीजें या सरकार हुई मालामाल; यहां जानें पूरी बात
जीएसटी लागू हुए पांच साल बीत गए हैं। देश में जीएसटी को 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था। जीएसटी से संबंधित विधेयक को सबसे पहले देश के असम राज्य ने पारित किया गया था। अप्रैल 2022 में जीएसटी रिकार्ड संग्रह 1.68 लाख करोड़ रुपये का हुआ था।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। जीएसटी के रूप में देश के सबसे बड़े टैक्स सुधार को लागू हुए पांच साल बीत चुके हैं। एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, वैट और एक दर्जन सेस को खत्म करते हुए पहली जुलाई, 2017 से एक देश, एक कर की अवधारणा पर बढ़ते हुए जीएसटी को लागू किया गया था। शुरुआती आशंकाओं को धता बताते हुए जीएसटी ने स्वयं को एक सफल व्यवस्था के रूप में स्थापित किया है। इसके लागू होने से दैनिक जरूरत की बहुत सी वस्तुएं सस्ती हो गईं। साथ ही व्यवस्था में एकरूपता और पारदर्शिता से सरकार का राजस्व भी लगातार बढ़ा है। आज हर महीने एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का जीएसटी कलेक्शन सामान्य हो चुका है।
उपभोक्ताओं को हुआ लाभ
जीएसटी से पहले वैट, एक्साइज, सीएसटी और अन्य कई तरह के शुल्क मिलाकर बहुत सी दैनिक प्रयोग की वस्तुओं पर प्रभावी अधिकतम टैक्स की दर 31 प्रतिशत तक पहुंच जाती थी। जीएसटी में टैक्स की चार स्लैब पांच प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत हैं। ज्यादातर दैनिक प्रयोग की वस्तुएं 18 प्रतिशत या उससे कम के स्लैब में हैं। इससे उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है। उदाहरण के तौर पर, अगरबत्ती पर जीएसटी से पहले कुल टैक्स 10 प्रतिशत तक था, जो अब पांच प्रतिशत है। टूथपेस्ट पर पहले 27 प्रतिशत तक का टैक्स था, जो जीएसटी में 18 प्रतिशत है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि आज जो टूथपेस्ट आपको 150 रुपये में मिल रहा है, उसकी कीमत पिछली व्यवस्था के आधार पर 161 रुपये होती।
बदलावों से गुजरती रही व्यवस्था
जीएसटी की व्यवस्था को लागू करने के साथ ही सरकार इसमें सुधार के लिए भी तत्पर रही। अब तक जीएसटी काउंसिल की 47 बार बैठक हो चुकी है। इनमें विभिन्न उत्पादों पर जीएसटी की दरों में बदलाव के साथ-साथ करदाताओं की सहूलियत को देखते हुए भी लगातार फैसले किए गए।
जानें कुछ महत्वपूर्ण बातें
- सोने, आभूषण और कीमती रत्नों के लिए 3 फीसद की विशेष स्लैब बनाई गई है।
- वहीं, पालिश किए गए हीरे पर 1.5% की दर प्रभावी है।
- लक्जरी और सिन प्रोडक्ट्स पर 28% की अधिकतम दर प्रभावी है। इन पर सेस भी लगता है।
- यह सेस कंपनसेशन फंड में जाता है, जिससे राज्यों को हुए नुकसान की भरपाई की जाती है।
- 2018 अप्रैल में पहली बार मासिक कर संग्रह एक लाख करोड़ रुपये के पार पहुंचा था।
- अप्रैल 2022 में जीएसटी रिकार्ड संग्रह 1.68 लाख करोड़ रुपये का हुआ था।