फिंच ने अमेरिका को निगरानी की निगेटिव सूची में डाला
प्रमुख ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच ने ताजा बजट संकट को देखते हुए अमेरिका को निगरानी सूची में डाल दिया है। समय पर कर्ज सीमा बढ़ाने में नाकाम रहने के कारण डिफॉल्ट के खतरा बढ़ गया है। इसे देखते हुए फिच ने अमेरिकी रेटिंग आउटलुक को 'वॉच निगेटिव' सूची में करने का कदम उठाया है।
वाशिंगटन। प्रमुख ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच ने ताजा बजट संकट को देखते हुए अमेरिका को निगरानी सूची में डाल दिया है। समय पर कर्ज सीमा बढ़ाने में नाकाम रहने के कारण डिफॉल्ट के खतरा बढ़ गया है। इसे देखते हुए फिच ने अमेरिकी रेटिंग आउटलुक को 'वॉच निगेटिव' सूची में करने का कदम उठाया है। रेटिंग एजेंसियां रेटिंग घटाने से पहले आउटलुक में बदलाव करती हैं।
एजेंसी ने अमेरिका की लंबी अवधि की 'एएए' इश्यूअर डिफॉल्ट रेटिंग (आइडीआर) वॉच निगेटिव सूची में रखी है। 17 अक्टूबर तक कर्ज सीमा नहीं बढ़ने पर डिफॉल्ट के खतरे के कारण आउटलुक में यह बदलाव किया गया है। इसके अलावा अमेरिका की सभी कर्ज प्रतिभूतियों का रेटिंग आउटलुक भी वॉच निगेटिव किया गया है। अमेरिका की छोटी अवधि विदेशी मुद्रा कर्ज प्रतिभूतियों की रेटिंग एफ1 प्लस यानी साख कमजोर है। लंबी अवधि की प्रतिभूतियों का आउटलुक पहले से ही नकारात्मक है।
फिच ने कहा कि अमेरिकी प्रशासन ट्रेजरी प्रबंधन के लिए असाधारण उपाय समाप्त होने से पहले कर्ज सीमा बढ़ाने में असफल रहा है। अमेरिकी वित्त मंत्री ने कहा था कि 17 अक्टूबर को असाधारण उपाय भी समाप्त हो जाएंगे। अमेरिका के पास अब केवल 30 अरब डॉलर की नकदी बची है।
हालांकि फिच अब भी यह मान रही है कि कर्ज सीमा में जल्दी ही बढ़ोतरी हो जाएगी। लेकिन राजनीतिक गतिरोध और वित्तीय लचीलेपन में कमी के कारण डिफॉल्ट का खतरा बढ़ गया है। आपूर्तिकर्ताओं और कर्मचारियों के अलावा सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत नागरिकों को भुगतान में भारी देरी होने की आशंका पैदा हो गई है। ऐसे में अमेरिकी सरकार और अर्थव्यवस्था की साख को भारी नुकसान होगा। कर्ज सीमा बढ़ाने को लेकर बार-बार लंबी वार्ताओं के कारण ग्लोबल करेंसी के रूप में डॉलर पर भरोसा घटने का खतरा भी बढ़ गया है।