वित्त वर्ष 2018-19 में 3.3 फीसद के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करना हो सकता है चुनौतीपूर्ण: एक्सपर्ट
कुछ विशेषज्ञ पहले ही यह अनुमान लगा चुके हैं कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी के साढ़े तीन फीसद के स्तर तक पहुंच सकता है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.3 फीसद पर थामना सरकार के लिए एक चुनौतीपूर्ण काम हो सकता है। इसकी प्रमुख वजह जीएसटी संग्रह में कमी, बढ़ते खर्च और औद्योगिक उत्पादन की गति का धीमा पड़ना है। यह अनुमान विशेषज्ञों ने लगाया है।
हालांकि मतदाताओं को रिझाने के लिए सरकार लोकलुभावन घोषणाएं कर सकती है जिससे राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के अंतर को सीमित करना और चुनौतीपूर्ण हो सकता है। कुछ विशेषज्ञ पहले ही यह अनुमान लगा चुके हैं कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी के साढ़े तीन फीसद के स्तर तक पहुंच सकता है जो कि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के 3.3 फीसद के अनुपात से कहीं ज्यादा है।
नवंबर, 2018 में राजकोषीय घाटा का आंकड़ा बजट में पूरे साल के लिए अनुमानित राशि के 114.8 फीसद तक पहुंच गया था। केंद्र सरकार ने अप्रैल-मार्च 2018-19 के लिए राजकोषीय घाटे को 6.24 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी के 3.3 फीसद तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा है। वहीं अप्रैल-नवंबर के बीच राजकोषीय घाटा 7.16 लाख करोड़ रुपये या लक्ष्य से 114.8 फीसद अधिक रहा। यह बीते वित्त वर्ष की समान अवधि के 112 फीसद से थोड़ा ज्यादा रहा। मूडीज ने कहा कि जीएसटी कलेक्शन में आ रही गिरावट, कम एक्साइज ड्यूटी और लक्ष्य से कम विनिवेश प्राप्तियों को देखते हुए हम अनुमान लगा सकते है कि केंद्र सरकार के राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी के 3.4 फीसद तक पहुंच सकता है।