वित्त मंत्रालय की विभागों की बजट राशि पर नजर, 15% से ज्यादा नहीं कर सकते मार्च में खर्च
वित्त मंत्रालय ने सभी विभागों से कहा है कि वित्त वर्ष के आखिरी महीने में 15 फीसद से अधिक धनराशि खर्च करते हैं, तो यह वित्तीय नियमों का उल्लंघन है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। मार्च में बजट राशि खर्च करने में हड़बड़ी दिखाने वाले विभागों पर वित्त मंत्रालय की नजर है। मंत्रालय ने केंद्र के सभी विभागों से कहा है कि अगर वे वित्त वर्ष के आखिरी महीने यानी मार्च में 15 फीसद से अधिक धनराशि खर्च करते हैं, तो यह वित्तीय नियमों का उल्लंघन माना जाएगा।
सामान्य वित्तीय नियम, 2017 के नियम 62 (3) के अनुसार अगर कोई विभाग वित्त वर्ष के अंतिम महीने में निर्धारित सीमा से अधिक खर्च करता है तो यह अनुचित माना जाएगा। वित्त मंत्रालय ने इसी नियम का हवाला देते हुए सभी विभागों के प्रमुखों को आगाह किया है। नियमानुसार वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही (जनवरी -मार्च) में पूरे वर्ष के लिए आवंटित धनराशि का 33 फीसद से अधिक खर्च नहीं होना चाहिए। इसी तरह वित्त वर्ष के अंतिम माह (मार्च) में अधिकतम 15 फीसद राशि ही खर्च की जा सकती है।
मंत्रालय की यह नसीहत इसलिए महत्वपूर्ण है कि अब भी कई विभाग ऐसे हैं, जो समय पर अपनी बजट राशि खर्च नहीं कर पाए हैं। कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स (सीजीए) के अनुसार सरकार जनवरी के अंत तक संशोधित अनुमानों में तय की गई कुल व्यय राशि 22.17 लाख करोड़ रुपये में से लगभग 83 फीसद खर्च कर चुकी है।
वहीं कई मंत्रालय हैं, जो चालू वित्त वर्ष में 10 महीने बाद आधी राशि भी खर्च नहीं कर पाए हैं। मसलन, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के लिए सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 7,660 करोड़ रुपये का बजट मुकर्रर किया, लेकिन जनवरी 2018 के अंत तक मंत्रालय इसमें से मात्र 38 प्रतिशत राशि ही खर्च कर पाया। साफ है कि मंत्रालय चालू वित्त वर्ष में पूरी धनराशि खर्च नहीं कर पाएगा। यही हाल औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग का है। यह विभाग जनवरी के अंत तक महज 45 फीसद राशि ही खर्च कर पाया है।
इसी तरह कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय को सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए 2,356 करोड़ रुपये का बजट दिया है। वह इसमें से 64 फीसद राशि ही खर्च कर पाया है। यही हाल बिजली मंत्रालय का है, जो चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 10 महीनों में मात्र 63 फीसद राशि खर्च कर पाया है। अल्पसंख्यक मामलों संबंधी मंत्रालय का खर्च भी औसत से काफी कम है। पर्यटन मंत्रालय भी चालू वित्त वर्ष में आवंटित 1,776 करोड़ रुपये के बजट में से जनवरी, 2018 के अंत तक मात्र 68 फीसद राशि ही खर्च कर पाया है।