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वित्त मंत्रालय ने अरुण जेटली के बजट भाषण के लिए मंत्रालयों से मांगे सुझाव

बीते महीने वित्त मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2019-20 के बजट की तैयारियां शुरू कर दी थीं। इस प्रक्रिया के दौरान स्टील, पावर, हाउसिंग एंड अर्बन डवलेपमेंट और अन्य मंत्रालयों के साथ चर्चा भी की है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Thu, 22 Nov 2018 12:29 PM (IST)Updated: Fri, 23 Nov 2018 09:23 AM (IST)
वित्त मंत्रालय ने अरुण जेटली के बजट भाषण के लिए मंत्रालयों से मांगे सुझाव
वित्त मंत्रालय ने अरुण जेटली के बजट भाषण के लिए मंत्रालयों से मांगे सुझाव

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वित्त मंत्रालय ने अरुण जेटली के आगामी बजट भाषण के लिए विभिन्न मंत्रालयों से उनके सुझाव मांगे हैं। वर्ष 2019 के आम चुनाव से पहले यह केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का आखिरी बजट (वर्तमान सरकार का) होगा। मई 2019 में मौजूदा सरकार का कार्यकाल पूरा हो रहा है।

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मंत्रालय की ओर से सभी विभागों और मंत्रालयों को रिमाइंडर भेजकर कहा गया है, "कृपया 30 नवंबर 2018 तक अपने विभाग से संबंधित जरूरी सूचना या सुझाव उपलब्ध कराए।" वित्त मंत्रालय की ओर से विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों से संबंधित सामग्री भेजने को भी कहा है जिसे वित्त मंत्रालय के 2019-20 के बजट भाषण में शामिल किया जा सकता है।

बीते महीने वित्त मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2019-20 के बजट की तैयारियां शुरू कर दी थीं। इस प्रक्रिया के दौरान स्टील, पावर, हाउसिंग एंड अर्बन डवलेपमेंट और अन्य मंत्रालयों के साथ चर्चा भी की है ताकि चालू वित्त वर्ष के लिए संशोधित व्यय को और अगले वित्त वर्ष के लिए व्यय अनुमान को अंतिम रूप दिया जा सके।

आगामी आम चुनाव के संदर्भ में सरकार अंतरिम बजट पेश कर सकती है जिसे वोट ऑन अकाउंट बजट कहा जाता है। केंद्रीय आम बजट 1 फरवरी को पेश किया जाता है। जेटली वर्ष 2019 में अपना लगातार छठा बजट पेश करेंगे जो कि वोट ऑन अकाउंट होगा।

क्या होता है वोट ऑन अकाउंट?

वित्त वर्ष के दौरान ही अगर आम चुनाव हो रहे होते हैं तो इस स्थिति में वोट-ऑन-अकाउंट लाया जाता है। इसके अलावा युद्ध या आपातकाल की स्थिति में भी वोट-ऑन-अकाउंट का प्रावधान है। वोट-ऑन-अकाउंट के लिए लोकसभा से अनुमति मिलती है। इस पर चर्चा भी नहीं होती।

सामान्य भाषा में समझें तो अगर एक वित्त वर्ष के दौरान अप्रैल-मई में चुनाव होने होते हैं तो सरकारें उस समय पूर्ण बजट पेश करने की स्थिति में नहीं होती हैं, लेकिन सरकारी खर्चों को पूरा करने के लिए उसे इंतजाम जरूर करना पड़ता है ताकि नई सरकार के आने तक सभी व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चलती रहें। माना जाता है कि जिस सरकार के पास पूरे साल शासन चलाने का जनादेश नहीं है तो उसे पूरे साल का वित्तीय विवरण पेश करने से भी बचना होता है। ऐसी ही स्थिति में सरकार पूर्ण बजट पेश करने के बजाय कुछ महीनों का खर्च चलाने के लिए वोट ऑन अकाउंट पेश करती है। इसे लेखानुदान मांग, अंतरिम बजट और आम भाषा में मिनी बजट भी कहा जाता है। संविधान के अनुच्छेद 116 में इसका प्रावधान है। इसमें सरकार कोई नया टैक्स नहीं लगाती है।


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