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ग्लोबल रेटिंग एजेंसियों को साधने की कवायद

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। ग्लोबल स्तर पर देश की आर्थिक छवि सुधारने में जुटी सरकार ने रेटिंग एजेंसियों को साधने की कवायद तेज कर दी है। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच को सरकार ने आर्थिक सुधार जारी रखने और खजाने की स्थिति को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाने का भरोसा दिया है।

By Edited By: Published: Fri, 12 Apr 2013 09:30 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। ग्लोबल स्तर पर देश की आर्थिक छवि सुधारने में जुटी सरकार ने रेटिंग एजेंसियों को साधने की कवायद तेज कर दी है। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच को सरकार ने आर्थिक सुधार जारी रखने और खजाने की स्थिति को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाने का भरोसा दिया है।

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बीते कुछ महीने में आर्थिक सुधारों की रफ्तार बढ़ाने के साथ-साथ सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि बनाने के लिए सभी प्रमुख रेटिंग एजेंसियों के साथ बैठक कर उन्हें उठाए जा रहे कदमों की जानकारी देने का फैसला किया है। इस क्रम में वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने शुक्रवार को फिच के साथ बैठक की। अगली बैठक 25 अप्रैल को स्टैंडर्ड एंड पुअर्स [एसएंडपी] के साथ होगी। उसके बाद 7 मई को वित्त मंत्रालय के अधिकारी मूडीज के प्रतिनिधियों से मिलकर उन्हें अर्थव्यवस्था में आए बदलाव और सरकार के प्रयासों का ब्योरा देंगे।

फिच के साथ शुक्रवार को हुई बैठक में वित्त मंत्रालय की ओर से आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने हिस्सा लिया। सूत्रों के मुताबिक फिच के प्रतिनिधियों ने राजकोषीय घाटे पर चिंता जताई। एजेंसी को चिंता इस बात की भी है कि सरकार अपने राजस्व लक्ष्यों को कैसे पूरा करेगी। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने फिच के प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि इस दिशा में गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं। सोने के आयात में कमी आई है और देश में निवेश आना भी शुरू हुआ है।

अधिकारियों ने रेटिंग एजेंसी को चालू खाते के घाटे में कमी लाने को लेकर भी आश्वस्त किया। वित्त मंत्रालय का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम घटने और रुपये की कीमत स्थिर होने के बाद सरकार को चालू खाते का घाटा कम करने में मदद मिलेगी। अधिकारियों ने पिछले दिनों निवेश पर गठित मंत्रिमंडलीय समिति का हवाला देते हुए कहा कि तीन महीने में यह समिति 70,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दे चुकी है। बुनियादी ढांचागत क्षेत्र की इन परियोजनाओं का सकारात्मक असर सीमेंट, स्टील जैसे उद्योगों पर होगा।


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